Supreme Court News: कोल व DMF स्कैम, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा- क्या सिर्फ आरोपी को जेल में रखना ही उपाय है?
Supreme Court News: कोल व डीएमएफ घोटाले के आरोपी की जमानत आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दाैरान बेंच की तल्खी सामने आई। डिवीजन बेंच ने कहा, सिर्फ दिखावे के लिए आरोपी को जेल में रखने का क्या फायदा है।
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Supreme Court News: दिल्ली। कोल व डीएमएफ घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी के जमानत आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में बताया है कि जेल में रहते हुए सूर्यकांत तिवारी द्वारा सह-आरोपी निखिल चंद्राकर को धमकी दी जा रही है। जेल से निकलने पर गवाहों को प्रभावित करेगा। लिहाजा जमानत आदेश को रद्द किया जाए। कोयला लेवी 'घोटाले' से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामला, कोल लेवी 'घोटाले' से संबंधित ईओडब्ल्यू मामला और डीएमएफ 'घोटाले' से संबंधित मामले में सूर्यकांत तिवारी तीन साल से जेल में बंद है। इसी आरोप में रानू साहू व सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है।
छत्तीसगढ़ में हुए कोयला लेवी 'घोटाला' मामले के प्रमुख आरोपी सूर्यकांत तिवारी को दी गई अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अफसोस जताते हुए कहा, इन दिनों अभियुक्तों को केवल अभियोजन के लिए जेलों में रखा जाता है। राज्य गवाहों की सुरक्षा के लिए कोई प्रभावी नहीं करता है। गवाहों की सुरक्षा में अभियोजन एजेंसियों की शिथिलता को लेकर डिवीजन बेंच ने कहा, गवाह को बचाने का एकमात्र तरीका आरोपी को जेल में रखना है।
शायद ही कोई राज्य अभियोजन एजेंसी है जो वास्तव में गवाहों में सुरक्षा और विश्वास का माहौल सुनिश्चित करने के लिए अपने पैसे, समय और ऊर्जा निवेश करती है। ऐसे में विचाराधीन कैदी को जेल में रखने और अभियोजन पक्ष का माहौल बनाने का क्या फायदा है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से कहा, आप अपने राज्य से पूछ सकते हैं कि उन्होंने गवाहों की सुरक्षा के लिए कितना धन आवंटित किया है। बेंच ने कहा कोई नहीं, जेलें संचालित करने के लिए स्वर्ग बन गई हैं। जेल अब उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है।
डिवीजन बेंच में डीएमएफ 'घोटाला' मामले में तिवारी द्वारा अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका व कोयला लेवी 'घोटाला' मामले के संबंध में उनके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सूर्यकांत तिवारी को दी गई जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया था। तिवारी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने पैरवी की।
सुप्रीम कोर्ट की सामने आई नाराजगी-
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता से डिवीजन बेंच ने कहा, अब तक, क्या आपके राज्य में एक समर्पित जांच विंग है? आपके पास ईओडब्ल्यू विभाग है, आपके पास फोरेंसिक एकाउंटेंट नहीं हैं, जो जांच में शामिल हैं। आपको लगता है कि वित्तीय अपराधों में इस तरह के अपराधों को केवल स्वीकारोक्ति के माध्यम से हल किया जाता है। इसलिए स्वीकारोक्ति चाहते हैं।
किसी को जेल में डालते हैं और मामले को साबित करने का प्रयास करते हैं। क्या यह 19वीं सदी की पुरातन जांच है? अपनी जांच की स्थिति देखिए। कल, आपके पास डार्क वेब पर अपराध होंगे, जहां धन का हस्तांतरण क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होगा। उस क्षेत्र में आपका क्षमता निर्माण कहां हो रहा है? शुक्र है कि कथित रिश्वत लेने वालों ने फिएट मुद्रा में पैसा लिया।