Supreme Court Bulldozer Verdict: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, लगाई फटकार, जानिए क्या कहा?

Supreme Court Bulldozer Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर रुख अपनाते हुए कार्यपालिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती।

Update: 2024-11-13 07:27 GMT

Supreme Court Bulldozer Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर रुख अपनाते हुए कार्यपालिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्यपालक अधिकारी जज नहीं बन सकते और सिर्फ किसी को आरोपी मानकर उनके घर गिराने का फैसला नहीं ले सकते। यह टिप्पणी कोर्ट ने उस समय दी जब वह बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

सिर्फ आरोपी होने पर घर नहीं गिरा सकते

जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ आरोपी मानकर उसका घर गिराना असंवैधानिक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति पर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना एकतरफा कार्रवाई नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि न्याय करना न्यायपालिका का काम है, और कार्यपालिका को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

बिना कानूनी प्रक्रिया के घर गिराना पड़ेगा भारी

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर गिराया जाता है तो संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा और पीड़ित को मुआवजा भी मिलेगा। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में कानून का शासन सबसे महत्वपूर्ण है और अधिकारी इस कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश

  1. म्युनिसिपल नियम का पालन: किसी भी विध्वंस कार्रवाई से पहले म्युनिसिपल नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।
  2. 15 दिन का नोटिस: विध्वंस से पहले आरोपी को 15 दिन का नोटिस दिया जाए।
  3. नोटिस डीएम को भेजना: विध्वंस की सूचना जिला अधिकारी को भी दी जाए।
  4. नोटिस की ऑनलाइन जानकारी: सभी नोटिसों की जानकारी 3 महीने में पोर्टल पर डाली जाए।
  5. अधिकारी होंगे जिम्मेदार: मनमाने तरीके से विध्वंस करने पर अधिकारियों को मुआवजा देना होगा।

बिना सुनवाई किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने चेताया कि निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी व्यक्ति को दोषी मान लेना और उसके घर को तोड़ देना न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोई अधिकारी अपने अधिकारों से बाहर जाकर कार्रवाई करता है तो उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा।

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