Satta king, Satta Result: भारत में कैसे हुई सट्टा मटका की शुरुआत, जानें इसका इतिहास

Satta king | Satta Result | Sattaking | Satta King 786 | Satta chart: भारत में सट्टेबाजी का एक लोकप्रिय रूप, सट्टा मटका, ने पिछले कुछ वर्षों में खूब चर्चा बटोरी है। किस्मत और कौशल के मिश्रण से बने इस खेल ने लाखों लोगों को अपने रोमांच और उत्साह से आकर्षित किया है।

Update: 2024-08-03 05:08 GMT

Satta king | Satta Result | Sattaking | Satta King 786 | Satta chart: भारत में सट्टेबाजी का एक लोकप्रिय रूप, सट्टा मटका, ने पिछले कुछ वर्षों में खूब चर्चा बटोरी है। किस्मत और कौशल के मिश्रण से बने इस खेल ने लाखों लोगों को अपने रोमांच और उत्साह से आकर्षित किया है। आइए जानते हैं सट्टा मटका की उत्पत्ति और इसका इतिहास।

सट्टा मटका की शुरुआत

सट्टा मटका की शुरुआत 1960 के दशक में मुंबई (तब बॉम्बे) में हुई थी। इसे शुरू में "अंकड़ा जुआ" कहा जाता था। यह खेल न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज पर कारोबार किए जाने वाले कपास के बंद होने और खुलने के भावों की भविष्यवाणी पर आधारित था। यह मिल मजदूरों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ और जल्द ही अन्य लोगों के बीच भी फैल गया।

रतन खत्री का योगदान

1961 में न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज के बंद होने के बाद, पाकिस्तान के सिंध से आए रतन खत्री ने अंकड़ा जुआ का एक नया रूप पेश किया जिसे "मटका" कहा जाता है। "मटका" का मतलब है मिट्टी का बर्तन, जिसमें नंबर निकाले जाते थे।

सट्टा मटका की लोकप्रियता

रतन खत्री का मटका तेजी से लोकप्रिय हुआ। इस खेल में 0 से 9 तक की संख्याएं चुननी होती थीं, जिन्हें कागज के टुकड़ों पर लिखकर मटका में रखा जाता था। फिर एक व्यक्ति तीन संख्याएं निकालता था, जिससे एक विनिंग कॉम्बिनेशन बनता था। जीतने वाली संख्याएं सार्वजनिक स्थानों पर निकाली जाती थीं, जिससे बड़ी भीड़ आकर्षित होती थी। विजेताओं को भारी धनराशि से पुरस्कृत किया जाता था।

DpBOSS और मटका परिणाम

आजकल, DpBOSS हर दिन सट्टा मटका के परिणाम प्रकाशित करती है। इसमें मटका चार्ट, भारतीय मटका, कल्याण परिणाम, मटका ऑनलाइन, पैनल चार्ट, फिक्स मटका जोड़ी जैसी जानकारियां उपलब्ध होती हैं।

अपराध की एंट्री

सट्टा मटका की बढ़ती लोकप्रियता के साथ संगठित अपराध गिरोहों का प्रभाव भी बढ़ गया। माफियाओं ने खेल को नियंत्रित कर परिणामों में हेरफेर शुरू कर दी। इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच बढ़ी और 1965 में महाराष्ट्र सरकार ने सट्टा मटका पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, प्रतिबंध के बाद भी यह खेल अवैध रूप से चलता रहा।

1980 और 90 के दशक का स्वर्णकाल

1980 और 1990 के दशक में सट्टा मटका अपने चरम पर था। लाखों खिलाड़ी इसमें शामिल हुए और यह मुंबई की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने लगा। इस दौरान हिंसा और गिरोह प्रतिद्वंद्विता भी बढ़ी, क्योंकि विभिन्न गुट मटका व्यवसाय पर नियंत्रण के लिए लड़ने लगे।

डिस्क्लेमर: सट्टा मटका या इस तरह का कोई भी जुआ भारत में गैरकानूनी है। हम किसी भी तरह से सट्टा/जुआ या इस तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं।

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