मराठी महिला को 'गुजराती' मुहल्ले में दफ्तर लेने से रोका, शुरू हुआ विवाद

Mumbai News: मुंबई में एक बड़ा राजनीतिक विवाद तब शुरू हो गया, जब एक मराठी महिला ने आरोप लगाया कि उसे हाल ही में उपनगरीय मुलुंड में गुजराती बहुल बिल्डिंग सोसायटी में कार्यालय खरीदने से रोक दिया गया...

Update: 2023-09-28 17:08 GMT

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Mumbai News: मुंबई में एक बड़ा राजनीतिक विवाद तब शुरू हो गया, जब एक मराठी महिला ने आरोप लगाया कि उसे हाल ही में उपनगरीय मुलुंड में गुजराती बहुल बिल्डिंग सोसायटी में कार्यालय खरीदने से रोक दिया गया।

महिला और सोसायटी के सदस्यों के बीच मारपीट का वीडियो सामने आने पर मुलुंड पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और मामले की जांच कर रही है।

वीडियो बुधवार का है, जिसमें तृप्ति देवरुखकर दिख रही हैं, जो शहर के उत्तर-पूर्वी उपनगरीय इलाके मुलुंड स्थित शिव सदन में एक कार्यालय के लिए जगह देखने गई थीं।

वीडियो क्लिप में तृप्ति फूट-फूट कर रो रही हैं और अपना अनुभव बयां कर रही हैं कि एक बुजुर्ग व्यक्ति के नेतृत्व में गुजराती समाज के कुछ सदस्यों ने यह कहते हुए उनकी बोली रोक दी थी कि "नियमों के अनुसार, इस समाज में मराठियों को आने की अनुमति नहीं है"।

तृप्ति ने जब नियम दिखाने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और उनसे झगड़ने लगे। तृप्ति जब झगड़े की रिकॉर्डिंग कर रही थीं तो उनका मोबाइल छीन लिया गया और उनके साथ मारपीट की गई, झगड़े में बुजुर्ग व्यक्ति की मदद के लिए दो और लोग वहां पहुंच गए।

डरी हुईं तृप्ति देवरुखकर ने कहा, "उन्होंने मुझे खुलेआम धमकी दी। चौंकाने वाली बात यह है कि वहां एक भी महाराष्ट्रीयन मेरी मदद के लिए नहीं आया।"

बाद में जैसे ही झगड़े का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, महाराष्ट्र के शीर्ष विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार पर हमला बोला और पूछा कि क्या इस तरह से एक मराठी महिला का अपमान करने वाले गुजराती समाज के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?"

तृप्ति देवरुखकर ने दबी हुई आवाज़ में कहा, "यह भयानक है... मुंबई और महाराष्ट्र में एक मराठी के साथ ऐसी घटना हो रही है और कोई भी हमारे लिए नहीं बोलता... अगर हम यहां कार्यालय नहीं ले सकते तो क्या हमें गुजरात जाना चाहिए?" 

मुलुंड पुलिस ने तृप्ति देवरुखकर की शिकायत के आधार पर बुधवार की देर रात बुजुर्ग व्यक्ति, सोसायटी के अन्‍य सदस्यों प्रवीण ठक्कर व उनके बेटे नीलेश ठक्कर के खिलाफ शिकायत दर्ज की और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, शिवसेना-यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे, सुषमा अंधारे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव डॉ. जितेंद्र अवहाद, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता संदीप देशपांडे और अन्य ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की।

ठाकरे ने इस घटना को ''परेशान करने वाली'' करार दिया और अंधारे ने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस इस मामले में कुछ करेंगे?

जूनियर ठाकरे ने व्यंग्यात्मक पोस्ट में कहा, "मराठों पर लाठियां बरसाई गईं, यहां तक कि महिलाओं पर भी... क्या वे इस इमारत के खिलाफ कार्रवाई करेंगे... क्या वे कल पुलिस और बीएमसी भेजेंगे, या वे दिल्ली के नेताओं को नाराज न करने और 'बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम तेज करने' के लिए चुप रहेंगे।" 

डॉ. आव्हाड ने कहा कि मारवाड़ी-जैन-गुजराती समाज में मराठियों, दलितों और मुसलमानों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उन्हें "नीच, मांस खाने वाला" माना जाता है।

उन्होंने कहा, "मुंबई में हर कोई यह सब जानता है...इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर मांग उठ रही है कि गुजरातियों को महाराष्‍ट्र से बाहर निकाल देना चाहिए।"

पटोले ने सवाल किया, क्या अब मुंबई में "मराठियों के लिए कोई जगह नहीं है" और अन्य कांग्रेस नेताओं ने पूछा कि क्या शिंदे शासन इस मामले में गुजराती समाज के खिलाफ कार्रवाई करेगा?

संदीप देशपांडे ने कहा कि यह घटना मराठी गौरव पर हमले को दर्शाती है और चेतावनी दी कि "मनसे ऐसे लोगों को सबक सिखाएगी।"

इस घटना के तुरंत बाद मुलुंड मनसे कार्यकर्ता गुजराती सोसायटी परिसर में उतरे और ठक्करों को तृप्ति देवरुखकर से माफी मांगने के लिए मजबूर किया।

इस बीच, पीड़ित महिला ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों और यहां तक कि मराठी समुदाय पर भी इस तरह के रवैये के खिलाफ अपने ही राज्य में अपने जैसे लोगों के हितों की रक्षा करने की जहमत नहीं उठाने पर अपना गुस्सा जाहिर किया।

तृप्ति ने कहा, "उन्हें (गुजरातियों को) इस तरह का व्यवहार करने का इतना आत्मविश्‍वास कहां से मिल रहा है... गणेशोत्सव के दौरान भव्य सजावट करने और खुद को छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिक बताने के अलावा यहां की पार्टियां और हमारे अपने मराठी लोग क्या कर रहे हैं।"

इस वीडियो और घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि कैसे अतीत में कई प्रमुख मुसलमानों और मशहूर हस्तियों को भी तथाकथित 'शाकाहारी' समाजों में इस तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा था।

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