Madras High Court: पत्नी पोर्न फिल्म देखकर अंधेरे में करती थी ये गन्दा काम , हाईकोर्ट बोला अगर पुरुष कर सकते हैं, तो महिलाएं क्यों नहीं?

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि एक महिला द्वारा अकेले में पोर्नोग्राफी देखना और हस्तमैथुन करना उसके पति के प्रति क्रूरता नहीं माना जा सकता है।

Update: 2025-03-20 10:14 GMT
Madras High Court: पत्नी पोर्न फिल्म देखकर अंधेरे में करती थी ये गन्दा काम , हाईकोर्ट बोला अगर पुरुष कर सकते हैं, तो महिलाएं क्यों नहीं?
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Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि एक महिला द्वारा अकेले में पोर्नोग्राफी देखना और हस्तमैथुन करना उसके पति के प्रति क्रूरता नहीं माना जा सकता है। यह फैसला फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया, जिसमें तलाक की मांग करने वाले पति की याचिका खारिज कर दी गई थी।

न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन और न्यायमूर्ति आर पूर्णिमा की खंडपीठ ने कहा, "जब पुरुषों में हस्तमैथुन को "सार्वभौमिक मानवाधिकार" (Universal human rights) माना जाता है, तो महिलाओं द्वारा हस्तमैथुन को कलंकित नहीं किया जा सकता। पुरुष हस्तमैथुन करने के तुरंत बाद संभोग में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन महिलाओं के मामले में ऐसा नहीं होगा। यह भी सिद्ध नहीं किया गया है कि अगर पत्नी को हस्तमैथुन की आदत है तो पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध प्रभावित होंगे।"

अदालत ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि अगर शादी के बाद कोई महिला विवाहेतर संबंध बनाती है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है। लेकिन आत्म-सुख में लिप्त होना विवाह विच्छेद का कारण नहीं बन सकता। कोर्ट ने कहा, "केवल निजी तौर पर पोर्न देखने में प्रतिवादी (पत्नी) का कृत्य अपीलकर्ता (पति) के प्रति क्रूरता नहीं माना जा सकता है। यह देखने वाले पति या पत्नी के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।"

अदालत ने आगे कहा, "अगर कोई पोर्न देखने वाला दूसरे पति या पत्नी को अपने साथ शामिल होने के लिए मजबूर करता है, तो यह निश्चित रूप से क्रूरता माना जाएगा। अगर यह दिखाया जाता है कि इस लत के कारण किसी के वैवाहिक दायित्वों के निर्वहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो यह कार्रवाई योग्य आधार प्रदान कर सकता है।"

क्या था मामला?

यह मामला करूर जिले के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले एक व्यक्ति (अपीलकर्ता) द्वारा दायर अपील पर सुनवाई के दौरान सामने आया। पति ने तलाक की मांग की थी, लेकिन फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

दोनों की शादी जुलाई 2018 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार एक मंदिर में हुई थी। यह दोनों की दूसरी शादी थी, और इस विवाह से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। दिसंबर 2020 में दोनों अलग हो गए। पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए आवेदन दायर किया, जबकि पति ने तलाक मांगा। फरवरी 2024 में फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी।

पति के आरोप

पति ने पत्नी के खिलाफ कई आरोप लगाए, जिनमें शामिल हैं:

  • पत्नी एक खर्चीली है।
  • पोर्न देखने की आदी है।
  • अक्सर हस्तमैथुन करती है।
  • घर के काम करने से इनकार करती है।
  • ससुराल वालों के साथ बुरा व्यवहार करती है।
  • फोन पर लंबे समय तक बात करती है।

पत्नी ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अगर ये सच होते, तो वे करीब दो साल से एक साथ नहीं रह रहे होते।

अदालत ने माना कि पति क्रूरता से संबंधित अन्य आरोपों को साबित करने में सक्षम नहीं है। पत्नी द्वारा उठाया गया दूसरा आधार यह था कि वह यौन रोग से पीड़ित है, लेकिन उसने कहा कि वह शारीरिक रूप से पीड़ित है।

मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि निजी तौर पर पोर्न देखना और हस्तमैथुन करना क्रूरता नहीं है और यह तलाक का आधार नहीं बन सकता। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्यों को लेकर समाज में लैंगिक समानता का दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

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