Justice Abhijit Ganguly: कलकत्ता हाई कोर्ट के जज ने किया इस्तीफे का ऐलान, BJP के टिकट पर लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
Justice Abhijit Ganguly: कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली गंगोपाध्याय आज मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वे कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपना इस्तीफा पत्र भेजा है।
Justice Abhijit Ganguly: कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली गंगोपाध्याय आज मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वे कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपना इस्तीफा पत्र भेजा है। उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि वह किस राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे।
इसके पहले 4 मार्च को न्यायालय में उनका आखिरी दिन था जब जस्टिस गांगुली ने पूर्वी मिदनापुर में एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश के साथ अपने न्यायिक करियर पर विराम लगा दिया। वह सोमवार सुबह अदालत आए और अपने सामने आने वाले एक के बाद एक, सभी मामलों से खुद को अलग कर लिया, जिनमें वे मामले भी शामिल थे, जिनकी आंशिक सुनवाई हुई है या जिनमें फैसले सुरक्षित हैं। उन्होंने पूर्वी मिदनापुर में एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ सतर्कता से संबंधित मामले की संक्षिप्त सुनवाई की और मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम को उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।
उन्होंने न्यायाधीश के रूप में अपने अंतिम आदेश में कहा- कलकत्ता उच्च न्यायालय के सतर्कता विभाग ने उक्त जिला न्यायाधीश के खिलाफ एक गंभीर आरोप लगाया है। मैं मुख्य न्यायाधीश से इस मामले में रिपोर्ट को देखने का अनुरोध करूंगा। यदि रिपोर्ट की सामग्री सही है, तो उक्त जिला न्यायाधीश की सेवा समाप्त कर दी जाए। उन्होंने कहा था कि अपना इस्तीफा अग्रेषित करने के बाद मैं अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में आप सभी से साझा करूंगा।
4 मार्च को वह दोपहर 2.47 बजे अपनी अदालत से निकले, आखिरी बार उनसे मिलने के लिए वहां जुटे आम लोगों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी। न्यायमूर्ति गांगुली ने अदालत में उपस्थित लोगों से कहा, 'मेरा काम यहीं खत्म हो गया है। अब मैंने कुछ और करने का फैसला किया है।'
जैसे ही एक महिला उनके पैर छूने के लिए उनके पास आई, उन्होंने यह कहते हुए उसे रोक दिया कि वह किसी को अपने पैर छूने की इजाजत नहीं देते हैं। एक अन्य महिला ने रोते हुए उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने संक्षिप्त उत्तर दिया, "मुझे जाना होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि उनके नहीं रहने से याचिकाकर्ताओं को न्याय नहीं मिलेगा।