Gurmeet Ram Rahim News: राम रहीम को बड़ी रहत, रणजीत मर्डर केस में बरी, हाईकोर्ट ने पलटा CBI कोर्ट का फैसला

Gurmeet Ram Rahim: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह सहित 5 आरोपियों अपने शिष्य रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया।

Update: 2024-05-28 08:12 GMT

Gurmeet Ram Rahim: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह सहित 5 आरोपियों अपने शिष्य रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया। इससे पहले साल 2021 में पंचकुला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने सभी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उन पर 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन अब हाई कोर्ट ने उसे पलट दिया है।

राम रहीम ने CBI कोर्ट के सजा के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे जस्टिस सर्वेश्वर ठाकुर और ललित बत्रा की पीठ ने स्वीकार कर लिया था। उसके बाद मामले में लगातार सुनवाई हो रही थी और आज कोर्ट ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में राम रहीम के साथ अवतार सिंह, कृष्णलाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह को भी बरी कर दिया है। इंदर सेन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी।

कब हुई थी रंजीत सिंह की हत्या?

साध्वी के साथ रेप के आरोप सामने आने के बाद रंजीत सिंह और राम रहीम के बीच विवाद बढ़ गया था। इसके बाद 10 जुलाई, 2002 को कुरुक्षेत्र के खानपुर कोलियान गांव में रंजीत सिंह के खेतों के पास गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच से असंतुष्ट सिंह के परिवार ने हाई कोर्ट में CBI जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। CBI ने दिसंबर, 2003 में जांच शुरू की थी।

उम्रकैद की सजा काट रहा राम रहीम

अपनी दो महिला शिष्याओं के साथ बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम फिलहाल रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में भी उम्रकैद की सजा हुई है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की साल 2002 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वे लगातार अपने अखबार 'पूरा सच' में डेरा सच्चा सौदा से जुड़े सच दुनिया के सामने लाते रहते थे।

'पूरा सच' ने खोली थी डेरा प्रमुख की पोल

रामचंद्र छत्रपति 'पूरा सच' अखबार चलाते थे। उन्होंने ही सबसे पहले दो साध्वियों के साथ रेप की खबर को अपने अखबार में छापा था। यह खबर प्रकाशित होने के बाद से ही छत्रपति को धमकियां मिलनी शुरू हो गई थी। इस अखबार में छपी खबर पर संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट सिरसा के जिला सत्र न्यायाधीश को इसकी जांच कराने का आदेश दिया था। आगे चलकर इसी मामले में राम रहीम को 20 साल की जेल हुई।

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