Special Parliament Session: संविधान से 'इंडिया' शब्‍द हटाने का विधेयक पेश कर सकती है सरकार- सूत्र

Special Parliament Session: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कथित तौर पर चल रहे "अमृत काल" के दौरान देश के लोगों को "गुलामी मानसिकता" और ऐसी मानसिकता से जुड़े किसी भी तत्व से मुक्त करने पर जोर दे रही है...

Update: 2023-09-05 04:46 GMT

Parliament session 

Special Parliament Session: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कथित तौर पर चल रहे "अमृत काल" के दौरान देश के लोगों को "गुलामी मानसिकता" और ऐसी मानसिकता से जुड़े किसी भी तत्व से मुक्त करने पर जोर दे रही है। संविधान से "इंडिया" शब्द को हटाने की योजना, मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने दावा किया कि प्रस्ताव से संबंधित तैयारी चल रही है।

सूत्रों ने कहा कि 18-22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में सरकार 'इंडिया' शब्द हटाने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है।

इसके अलावा, विशेष सत्र के दौरान सफल चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 सौर मिशन के प्रक्षेपण सहित देश द्वारा हासिल की गई हाल की सफलताओं पर भी चर्चा होने की संभावना है, जिन्होंने वैश्विक सराहना बटोरी।

जी20 शिखर सम्मेलन (9-10 सितंबर को भारत द्वारा आयोजित किया जा रहा है) के साथ-साथ मुख्य शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित कार्यक्रम से संबंधित घटनाओं और कार्यक्रमों के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा। हालांकि, संसद के आगामी विशेष सत्र के एजेंडे की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

सूत्रों के मुताबिक, 2047 तक भारत को 'विकसित देश' बनाने का रोडमैप तैयार किया जाएगा और इसी विषय पर चर्चा भी होगी। 17वीं लोकसभा के 13वें और राज्यसभा के 261वें सत्र के दौरान 18-22 सितंबर तक पांच बैठकें होनी हैं।

सूत्रों की मानें तो सरकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत की परिभाषा में इस्तेमाल किए गए 'इंडिया यानी भारत' शब्द से 'इंडिया' शब्द हटाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी लोगों से इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करने की अपील करते हुए कहा था कि ''हमारे देश का नाम सदियों से भारत ही रहा है।''

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के पांच व्रतों पर जोर देते हुए कहा था कि इनमें से एक गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी शामिल है।

इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें शिक्षा नीति में बदलाव से लेकर प्रतीकों को हटाना, गुलामी से संबंधित सड़कों और स्थानों के नाम बदलना, औपनिवेशिक सत्ता से जुड़े लोगों की मूर्तियां हटाना और प्रमुख (ऐतिहासिक) भारतीयों की मूर्तियां स्थापित करना शामिल है। 

दरअसल, 11 अगस्त को लोकसभा में मॉनसून सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने 1860 में बने आईपीसी, सीआरपीसीइन (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) को गुलामी की निशानी बताया था।

तीन नए विधेयक - भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 मौजूदा विधेयकों के स्थान पर पेश किए गए।

इसके अलावा संसद के मानसून सत्र के दौरान ही भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भारत को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताते हुए इंडिया शब्द को हटाकर सिर्फ भारत शब्द का इस्तेमाल करने की मांग की थी।

इसके अलावा, 25 जुलाई को भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने विपक्षी दलों द्वारा अपने गठबंधन को इंडिया नाम देने पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन नेशनल कांग्रेस का गठन अंग्रेजों ने किया था।

Full View

Tags:    

Similar News