Ajmer Sharif Dargah Shiv Mandir Controversy: अजमेर शरीफ दरगाह पर नया विवाद, शिव मंदिर होने का दावा, अदालत ने जारी किया नोटिस
Ajmer Sharif Dargah Shiv Mandir Controversy:अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि यह दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा मानी जाती है, यह असल में एक शिव मंदिर था।
Ajmer Sharif Dargah Shiv Mandir Controversy:अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि यह दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा मानी जाती है, यह असल में एक शिव मंदिर था। गुप्ता ने इस मामले में अदालत से दरगाह का सर्वेक्षण कराने की मांग की है।
अदालत की सुनवाई और नोटिस
अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
गुप्ता का दावा:
विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि:
- अजमेर शरीफ दरगाह असल में एक प्राचीन शिव मंदिर थी।
- 1910 में ब्रिटिश शासन के दौरान हर बिलास सारदा नामक एक व्यक्ति ने अपनी किताब में इस जगह के तहखाने में शिवलिंग होने का उल्लेख किया था।
- उन्होंने दावा किया कि उस समय इस मंदिर में नियमित पूजा होती थी, और आसपास के लोग भी इस बात की पुष्टि करते हैं।
एएसआई से सर्वेक्षण की मांग
गुप्ता ने अदालत से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा दरगाह के सर्वेक्षण की मांग की है। उनका कहना है कि इससे यह साबित हो सकेगा कि दरगाह की जगह पर पहले शिव मंदिर था। उन्होंने यह भी मांग की है कि यदि दरगाह का पंजीकरण हुआ है, तो उसे रद्द किया जाए।
दरगाह की अहमियत और विरोध
अजमेर शरीफ दरगाह एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। अगले साल यहां 813वां उर्स मनाया जाएगा।
इस विवाद पर दरगाह के गद्दी नशीन सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि यह मामला सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा, "यह केवल नफरत की राजनीति है, जिसे हम किसी भी सूरत में कामयाब नहीं होने देंगे।"
क्या है आगे की राह?
इस विवाद ने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के इस स्थल पर नई बहस छेड़ दी है। अब सबकी नजरें 20 दिसंबर की अदालत की सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें यह तय होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या कार्रवाई होगी।