US Education Cost 2026 : सात समंदर पार पढ़ाई का सपना होगा महंगा : अगर आप भी जा रहे हैं अमेरिका, तो ये खबर आपके लिए

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की लगातार गिरती साख ने अमेरिका में उच्च शिक्षा को बेहद महंगा बना दिया है।

Update: 2025-12-19 05:16 GMT

US Education Cost 2026 : सात समंदर पार पढ़ाई का सपना होगा महंगा : अगर आप भी जा रहे हैं अमेरिका, तो ये खबर आपके लिए

US Education Cost 2026 : नई दिल्ली : विदेशी धरती पर शिक्षा पाने का सपना देख रहे भारतीय छात्रों के लिए आर्थिक मोर्चे पर बुरी खबर है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की लगातार गिरती साख ने अमेरिका में उच्च शिक्षा को बेहद महंगा बना दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले साल तक अमेरिका में पढ़ाई और रहने का खर्च औसतन 4.11 लाख रुपए प्रति वर्ष तक बढ़ सकता है। रुपए में आई इस ऐतिहासिक गिरावट (91 के स्तर को पार) ने न केवल छात्रों का बजट बिगाड़ा है, बल्कि अमेरिका जाने वाले युवाओं की संख्या में भी भारी कमी दर्ज की गई है।

US Education Cost 2026 : आंकड़ों में भारी गिरावट और बढ़ता बोझ ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2024 की तुलना में अगस्त 2025 में अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की तादाद में 44 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है। महामारी के बाद यह सबसे कम संख्या है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि किसी कोर्स की फीस 55,000 डॉलर है, तो केवल रुपए की कमजोरी के कारण छात्रों को ट्यूशन फीस में 3.3 लाख रुपए और रहने के खर्च में लगभग 81,000 रुपए का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। यह स्थिति उन छात्रों के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण है जो जनवरी 2026 (स्प्रिंग सत्र) से अपनी पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

US Education Cost 2026 : बजट की 'स्ट्रेस टेस्टिंग' और बदलता नजरिया बढ़ते खर्च को देखते हुए अब भारतीय परिवार अपने वित्तीय नियोजन को लेकर बेहद सतर्क हो गए हैं। एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब लोग 'लॉक-इन' ऑप्शंस और फिक्स्ड एक्सचेंज रेट वाले लोन की तलाश कर रहे हैं ताकि करेंसी के उतार-चढ़ाव से बचा जा सके। वहीं, गिरते रुपए के डर ने छात्रों को अपनी प्राथमिकताओं पर दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है। अब वे केवल उन्हीं कोर्स को चुन रहे हैं जिनमें रोजगार की शत-प्रतिशत गारंटी हो, ताकि लोन चुकाने में आसानी हो सके।

विकल्पों की तलाश: भारत और अन्य देश बने पसंद अमेरिका में बढ़ते खर्च और वहां के इमिग्रेशन नियमों में बदलाव के कारण छात्र अब वैकल्पिक रास्तों पर विचार कर रहे हैं। कई छात्र उन देशों का रुख कर रहे हैं जहाँ वर्क परमिट के नियम आसान हैं, वहीं एक बड़ा वर्ग अब भारत के ही शीर्ष विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता दे रहा है। जानकारों के अनुसार, भारतीय शिक्षण संस्थानों ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी रिसर्च और ग्लोबल रैंकिंग में काफी सुधार किया है, जिससे अब छात्र विदेश जाने के बजाय देश में ही रहकर वैश्विक स्तर की शिक्षा पाने को बेहतर मान रहे हैं।

Tags:    

Similar News