Sharif Usman Hadi Death : बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा की ज्वाला : शरीफ उस्मान हादी के निधन के बाद ढाका में कोहराम, अखबारों के दफ्तरों में तोड़फोड़, सरकार ने घोषित किया राष्ट्रीय शोक
Sharif Usman Hadi Death : बांग्लादेश की अंतरिम राजनीति और सामाजिक स्थिरता एक बार फिर गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ी है। जुलाई विद्रोह के अग्रणी नायक और इंकलाब मंच के प्रभावशाली प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी के निधन ने पूरे देश को झकझोर दिया हैं
Sharif Usman Hadi Death : बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा की ज्वाला : शरीफ उस्मान हादी के निधन के बाद ढाका में कोहराम, अखबारों के दफ्तरों में तोड़फोड़, सरकार ने घोषित किया राष्ट्रीय शोक
Sharif Usman Hadi Death : ढाका : बांग्लादेश की अंतरिम राजनीति और सामाजिक स्थिरता एक बार फिर गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ी है। जुलाई विद्रोह के अग्रणी नायक और इंकलाब मंच के प्रभावशाली प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी के निधन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। छह दिनों तक मौत से जूझने के बाद, हादी ने गुरुवार रात सिंगापुर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। इस खबर के जंगल की आग की तरह फैलते ही ढाका समेत कई बड़े शहरों में हिंसा भड़क उठी है, जिसने आगामी चुनावों और कानून-व्यवस्था पर बड़े सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
Sharif Usman Hadi Death : हमले की रूह कंपा देने वाली साजिश
शरीफ उस्मान हादी पर यह जानलेवा हमला उस समय हुआ था जब वह 12 दिसंबर को ढाका-8 संसदीय क्षेत्र से अपनी चुनावी तैयारियों के सिलसिले में पुराना पलटन इलाके में प्रचार कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों और जांचकर्ताओं के अनुसार, हादी एक रिक्शा में सवार थे, तभी मोटरसाइकिल सवार अज्ञात हमलावरों ने बेहद करीब से उनके सिर में गोली मार दी। डॉक्टरों के मुताबिक, गोली उनके बाएं कान के ऊपर से प्रवेश कर दाहिने हिस्से को चीरती हुई बाहर निकल गई थी, जिससे उनके मस्तिष्क का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। ढाका मेडिकल कॉलेज में प्रारंभिक सर्जरी के बाद उन्हें एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर जनरल अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
ढाका में प्रतिशोध की आग और मीडिया पर हमले
हादी के निधन की पुष्टि होते ही ढाका की सड़कों पर आक्रोशित भीड़ उतर आई। इंकलाब मंच के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने कई समाचार पत्रों के कार्यालयों को अपना निशाना बनाया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कुछ मीडिया घराने हादी के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि 'प्रोथोम आलो' जैसे प्रमुख अखबारों के दफ्तरों में लाठियों और पत्थरों से हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई और आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे आक्रोशित भीड़ मीडिया संस्थानों की इमारतों को निशाना बना रही है, जिससे कई कर्मचारी घंटों तक दफ्तरों के भीतर फंसे रहे।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का भावुक संबोधन
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने भारी मन से हादी को जुलाई विद्रोह का निडर योद्धा करार दिया। यूनुस ने कहा, "शरीफ उस्मान हादी का जाना केवल एक संगठन की क्षति नहीं, बल्कि पूरे बांग्लादेश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।" उन्होंने अपराधियों को पाताल से भी ढूंढ निकालने और उन्हें कड़ी सजा देने का संकल्प दोहराया। इसके साथ ही, सरकार ने 20 दिसंबर (शनिवार) को 'राष्ट्रीय शोक दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस दौरान देश के सभी सरकारी भवनों और विदेशों में स्थित दूतावासों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
अस्थिरता के साये में 2025 का चुनाव
हादी की हत्या ने बांग्लादेश के आगामी राष्ट्रीय चुनावों की सुरक्षा और निष्पक्षता पर गहरी चिंता पैदा कर दी है। वह ढाका-8 सीट से एक मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे थे और उनकी लोकप्रियता युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही थी। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस हत्या के पीछे चुनाव को बाधित करने और अंतरिम सरकार को अस्थिर करने की एक सोची-झीली साजिश हो सकती है। हिंसा की इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता परिवर्तन के बावजूद बांग्लादेश में सुरक्षा तंत्र अभी भी बेहद कमजोर है।
शहीद परिवार की जिम्मेदारी और विशेष प्रार्थनाएं
मोहम्मद यूनुस ने यह भी घोषणा की कि सरकार हादी की पत्नी और उनके इकलौते बच्चे की पूरी जिम्मेदारी उठाएगी। उन्हें 'शहीद' का दर्जा देते हुए सरकार ने उनके परिवार के भविष्य के कल्याण का वादा किया है। आज शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद देशभर की मस्जिदों में हादी की आत्मा की शांति और देश में अमन-चैन के लिए विशेष दुआएं मांगी जा रही हैं। सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि शनिवार को राष्ट्रीय शोक के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
सुलगता बांग्लादेश और अनिश्चित भविष्य
शरीफ उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेशी समाज में व्याप्त ध्रुवीकरण और राजनीतिक रंजिश को फिर से सतह पर ला दिया है। एक तरफ जहां सरकार इसे लोकतंत्र की क्षति बता रही है, वहीं सड़कों पर उतरा आक्रोश यह बता रहा है कि जनता न्याय के लिए कितनी बेकरार है। ढाका की जलती इमारतें और अखबारों के दफ्तरों पर हुए हमले प्रेस की आजादी और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी प्रहार हैं। अब पूरी दुनिया की नजरें मोहम्मद यूनुस के अगले कदम पर टिकी हैं कि वे कैसे इस उबाल को शांत करते हैं और देश को एक सुरक्षित चुनावी प्रक्रिया की ओर ले जाते हैं।