Rare Earth Superpower: कैसे चीन ने Rare Earth Minerals पर किया कब्ज़ा, अमेरिका भी रह गया पीछे! जानिए क्या होते होते हैं Rare Earth Minerals
Rare Earth Superpower: रेयर अर्थ मिनरल्स आज के समय में चर्चा का विषय है, इसका ज्यादातर इस्तेमाल ऑटो सेक्टर में होता है। गाड़ियों के कई पार्ट्स में इस रेयर अर्थ मेटल का उपयोग होता है और इस वर्ष अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वजह से इस मेटल की खूब चर्चा हुई। आइए जानते हैं कि रेयर अर्थ मिनरल्स क्या है और किस तरह से काम करता है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है।
Rare Earth Minerals
Rare Earth Superpower: रेयर अर्थ मिनरल्स आज के समय में चर्चा का विषय है, इसका ज्यादातर इस्तेमाल ऑटो सेक्टर में होता है। गाड़ियों के कई पार्ट्स में इस रेयर अर्थ मेटल का उपयोग होता है और इस वर्ष अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वजह से इस मेटल की खूब चर्चा हुई। आइए जानते हैं कि रेयर अर्थ मिनरल्स क्या है और किस तरह से काम करता है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने जब से टैरिफ की चर्चा की है तब से ही रेयर अर्थ मेटल पर भी बात हो रही है और इस पर एकाधिकार रखने वाले चीन ने इसके निर्यात पर ही रोक लगा दी। रेयर अर्थ मिनरल्स का सर्वाधिक उत्पादन चीन ही करता है उनके पास इसका भंडार है। जिसके लिए भारत समेत पूरी दुनिया को इस मेटल के लिए चीन के सामने हाथ फैलाना पड़ता है।
हालांकि भारत के पास भी रेयर अर्थ मेटल की पर्याप्त मात्रा है भारत रेयर अर्थ मिनरल्स के उत्पादन में तीसरे नंबर पर है लेकिन फिर भी भारत को चीन पर डिपेंड रहने की जरूरत पड़ती है। सबसे पहले जान लेते हैं रेयर अर्थ मिनरल्स क्या है। रेयर अर्थ मिनरल्स में प्रेसियोडिमियम, प्रोमेथियम, समैरियम, स्कैंडियम, टेरबियम, थ्यूलियम, येटरबियम, गैडोलीनियम, होल्मियम, लैंथेनम, ल्यूटेटियम, सेरियम, डिस्प्रोसियम, अर्बियम, युरोपियम, नियोडिमियम और येट्रियम ये 17 एलिमेंट्स शामिल होते हैं। जिसमें लाइट एमिनिंग प्रॉपर्टी, हाई मैग्नेटिक फील्ड और कैटेलिटिक क्षमताएं होती हैं। ये एलिमेंट्स बॉइलिंग प्वाइंट्स, हाई इलेक्ट्रिकल थर्मल कंडक्टिविटी, हाई मेल्टिंग प्वाइंट्स के लिए पहचाने जाते हैं।
क्यों कहा जाता है दुर्लभ-
ये खनिज रेयर नहीं होता इसकी उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है लेकिन इन मिनरल्स को उनके अयस्कों से निकालना और रिफाइन करना कठिन है। इसे पृथ्वी के अंदर से बाहर निकालने के लिए भी काफी एनर्जी की जरूरत होती है। इसलिए इसे रेयर अर्थ मिनरल्स कहा जाता है। इसकी माइनिंग करना मतलब जान जोखिम में डालना है। जिसके पर्यावरण परिणाम भी घातक हो सकते हैं। यह खनिज यूरेनियम और थोरियम के साथ मिक्स पाए जाते हैं। जो हाई एक्टिव रेडिएंट्स हैं जिसकी माइनिंक करना खतरनाक साबित हो सकता है। बता दें कि चीन के पास करीब 44 मिलियन मीट्रिक टन खनिज भंडार है। ब्राजील के पास 21 मिलियन मीट्रिक टन, भारत के पास 6.9 बिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज भंडार है। ऑस्ट्रेलिया के पास 5.7 बिलियन मीट्रिक टन अमेरिका के पास 1.9 बिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज का भंडार है।
भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन के लिए सुविधा नहीं है। भारत में रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग की सुविधा सीमित है इसलिए भारत कच्चा माल चीन भेजकर रिफाइन करवाता है। गौर करने वाली बात यह है कि 1995 में रेयल अर्थ मेटल के उत्पादन में चीन और अमेरिका की एक जैसी स्थिति थी लेकिन 2024 में चीन का उत्पादन अमेरिका के मुकाबले छह गुना ज्यादा बढ़ गया। दुनियाभर के लगभग 90 फीसदी रेयर अर्थ मेटल का उत्पादन चीन में होता है वजह ये है कि चाइनीज कंपनियों ने धीरे-धीरे रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई चेन में अपनी मजबूत पकड़ बना ली।