Afghanistan Earthquake: भूकंप से दहल उठा अफगानिस्तान! मजार-ए-शरीफ के पास 6.3 तीव्रता का भूकंप, 7 की मौत, काबुल तक महसूस हुए झटके!

Afghanistan Earthquake 2025: अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर के पास सोमवार सुबह 6.3 तीव्रता का भूकंप आया। झटके काबुल तक महसूस किए गए। अब तक 7 लोगों की मौत की खबर, पड़ोसी देशों ताजिकिस्तान-उज्बेकिस्तान में भी असर।

Update: 2025-11-03 05:16 GMT

Afghanistan Earthquake 2025: अफगानिस्तान में सोमवार तड़के एक बार फिर जोरदार भूकंप का झटका आया। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 मापी गई। इसका केंद्र उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर के पास खोल्म में जमीन से लगभग 28 किलोमीटर गहराई पर था। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक इस भूकंप में अब तक कम से कम 7 लोगों की मौत हुई है।

न्यूज़ एजेन्सी रॉयटर्स और एएफपी के अनुसार भूकंप के झटके इतने तेज़ थे कि काबुल तक महसूस किए गए। मजार-ए-शरीफ में आधी रात के वक़्त लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे। एक स्थानीय निवासी ने CNN को बताया हम सब सो रहे थे अचानक ज़मीन हिली और बच्चे डरकर चीखते हुए सीढ़ियों से नीचे भागने लगे।
पड़ोसी देशों तक पहुंचे झटके
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि भूकंप का केंद्र मजार-ए-शरीफ और खुल्म शहर के बीच रहा। यह झटके अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा से लगे ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के कई इलाकों में भी महसूस किए गए।

सीएनएन की रिपोर्ट में बताया गया कि मजार-ए-शरीफ उत्तरी बल्ख प्रांत की राजधानी है, देश के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है। इस वजह से प्रशासन को रेस्क्यू टीमों को तुरंत एक्टिव करना पड़ा।
दो महीने पहले भी आया था विनाशकारी भूकंप
यह झटका ऐसे समय आया है जब अफगानिस्तान पिछले कुछ महीनों में कई बार धरती हिलने की मार झेल चुका है। करीब दो महीने पहले देश के पूर्वी हिस्से में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप में 2,200 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी जो हालिया इतिहास का सबसे घातक भूकंप माना गया।
2023 में ईरान सीमा के पास हेरात क्षेत्र में आए भूकंप में 1,500 लोगों की मौत हुई थी और 63,000 से अधिक घर तबाह हो गए थे। आंकड़ों के मुताबिक 1900 के बाद से उत्तरपूर्वी अफगानिस्तान में 7 या उससे अधिक तीव्रता वाले 12 भूकंप आ चुके हैं।
तालिबान प्रशासन को बड़ी चुनौती का सामना
2021 में सत्ता में लौटने के बाद तालिबान प्रशासन को बार-बार भूकंपों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। राहत और पुनर्वास की व्यवस्था कमजोर होने के कारण आम लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। अफगानिस्तान का पहाड़ी भूभाग और भूकंपीय सक्रियता इसे दुनिया के सबसे संवेदनशील इलाकों में शामिल करती है।
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