कैसे क्वारंटाइन के बीच पिता के निधन ने क्रिकेटर मोहम्मद सिराज को बनाया मजबूत…ऐसे टूटकर भी बने स्टार

Update: 2021-08-18 08:33 GMT

नईदिल्ली 18 अगस्त 2021I भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज की कहानी काफी खूबसूरत है, जो भावनाओं से भरी है। इसमें त्रासदी का दुख, अपने कौशल में पारंगत होने का रोमांच और टॉप लेवल पर सफलता की खुशी शामिल है। इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में हाल में खत्म हुए दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के दौरान आठ विकेट चटकाकर सिराज ने दिखा दिया है कि ऑस्ट्रेलिया में उनकी सफलता तुक्का नहीं थी और वे लंबी रेस के घोड़े हैं। सिराज जुनून और गौरव की कई कहानियों में से एक हैं, जिसका जिक्र भारतीय क्रिकेट पर नई किताब ‘मिशन डॉमिनेशन: एन अनफिनिश्ड क्वेस्ट’ में किया गया है। इसके लेखक बोरिया मजूमदार और कुशान सरकार हैं,
जबकि इसे साइमन एंड शुस्टर ने प्रकाशित किया है। भारतीय टीम को हमेशा से पता था कि सिराज के अंदर सफलता हासिल करने का जज्बा है, क्योंकि उन्होंने उसे ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान देखा था, जब बीमारी के बाद उनके पिता का निधन हो गया था। किताब के अनुसार, ‘नवंबर में ऑस्ट्रेलिया में 14 दिन के जरूरी क्वारंटाइन के दौरान सिराज के पिता का इंतकाल हो गया था। इसका मतलब था कि टीम का उसका कोई भी साथी इस दौरान गम को साझा करने उसके कमरे में नहीं जा सकता था। उस समय सभी के कमरों के बाहर पुलिसकर्मी खड़े थे, जिससे कि भारतीय नियमों का उल्लंघन नहीं करें। उनकी निगरानी ऐसे हो रही थी जैसे वे मुजरिम हैं जो ऑस्ट्रेलिया में कोविड का निर्यात कर सकते हैं।’
इसमें कहा गया कि, ‘इसका नतीजा यह था कि टीम के साथी पूरे दिन उसके साथ वीडियो कॉल पर बात करते थे। वे चिंतित थे कि कहीं वह कुछ गलत ना कर लें या खुद को नुकसान ना पहुंचा लें। सिर्फ फिजियो इलाज के लिए उसके कमरे में जा सकते थे और नितिन पटेल ने अंदर जाकर इस युवा खिलाड़ी का गम साझा किया था।’ किताब के अनुसार, ‘सिराज कई मौकों पर टूट गए जो स्वाभाविक था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की अपने पिता की इच्छा पूरी करना चाहते थे और जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग-डे टेस्ट के दौरान मौका मिला तो वे उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे।’

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