अस्पताल पैसा कमाने का जरिया…इलाज संबंधी आदेश के खिलाफ नोटिफिकेशन जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

Update: 2021-07-19 07:34 GMT

नईदिल्ली 19 जुलाई 2021. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपर्याप्त सुरक्षा उपकरणों वाले अस्पतालों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये पैसा बनाने का व्यवसाय बन गए हैं और ये सब मानव संकट पर पनप रहे हैं. बेहतर होगा कि उन्हें बंद कर दिया जाए. कोरोना से संक्रमित मरीजों के उचित इलाज और सम्मानजनक तरीके से शवों को परिजनों को देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लिए गए स्वतः संज्ञान मामले में कोर्ट ने सोमवार को अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नोटिफिकेशन जारी करने के मामले में जवाब मांगा है.

गुजरात सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया था अस्पताल में आग से सुरक्षा के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. जस्टिस शाह ने कहा कि गुजरात में 40 अस्पताल ऐसे थे, जहां अग्नि सुरक्षा का इंतजाम नहीं था और वो हाई कोर्ट पहुंच गए. बाद में अग्नि सुरक्षा का उल्लंघन करने के लिए अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, ऐसा आदेश सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नोटिफिकेशन जारी करने के मामले में जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा कि उसे उन अस्पतालों को छूट देने वाली 8 जुलाई 2021 की अधिसूचना को वापस लेने पर ध्यान देना चाहिए.

बता दें कि 8 जुलाई 2021 को गुजरात सरकार ने आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था अस्पताल में आग से सुरक्षा के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों के खिलाफ 30 जून 2022 तक कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल से संज्ञान लेने को कहा और कहा कि ऐसे कैसे कोई सरकार इस तरह का आदेश दे सकती है कि अस्पतालों के खिलाफ एक्शन ना लिया जाए?

पीठ ने कहा कि एक बार जब परमादेश (मंडमस) जारी कर दिया गया हो तो उसे इस तरह की एक कार्यकारी अधिसूचना द्वारा ओवरराइड नहीं किया जा सकता है। आपका कहना है कि अस्पतालों को जून, 2022 तक आदेश का पालन नहीं करना है और तब तक लोग मरते और जलते रहेंगे। पीठ ने कहा कि अस्पताल एक रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं और संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के बजाय यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं।

शीर्ष अदालत ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर एक आयोग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दायर करने पर भी नाराजगी जताई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में आयोग की यह कौन सी रिपोर्ट है? यह कोई परमाणु रहस्य नहीं है।

शीर्ष अदालत, राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में आगजनी की घटनाओं के मद्देनजर देश भर के कोविड-19 अस्पतालों में आग की त्रासदियों से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।

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