हॉकी के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का निधन, तीन बार जीता ओलिंपिक गोल्ड

Update: 2020-05-25 03:43 GMT

चंडीगढ़ 25 मई 2020।भारतीय हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को चंडीगढ़ में निधन हो गया। वह 95 साल के थे। वह काफी समय से बीमार से थे। दिल का दौरा पड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वह 1948, 1952 और 1956 के ओलिंपिक गोल्ड मैडल जीतने वाली टीम का हिस्सा था। बलबीर भारतीय हॉकी के सुनहरे दिनों में खेले थे।

बलबीर सिंह सीनियर ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 1947 में भारत के श्रीलंका दौरे पर किया। ओलिंपिक में अपने पहले ही मुकाबले में बलबीर ने लंदन में अर्जेंटीना के खिलाफ छह गोल किए। फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ भी उन्होंने दमदार खेल दिखाया और दो गोल किए। यह आजाद भारत का पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल था।
बलबीर सिंह ने 1952 के हेलसिंकी ओलिंपिक में भारतीय दल की अगुआई की और ध्वजवाहक बने। भारत ने हेलसिंकी ओलिंपिक में कुल 13 गोल किए जिसमें से 9 अकेले बलबीर की स्टिक से निकले। इसमें ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ हैट-ट्रिक भी शामिल थी। उन्होंने फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ 5 गोल किए। जो अभी तक ओलिंपिक फील्ड हॉकी फाइनल में एक रेकॉर्ड है। भारत ने मुकाबला 6-1 से जीता।
बलबीर को 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक में भारत का कप्तान बनाया गया। यहां भी ओलिंपिक सेरिमनी में उन्होंने भारतीय ध्वजवाहक की भूमिका अदा की। भारत सरकार ने 1957 में बलबीर सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया। वह यह सम्मान पाने वाले पहले हॉकी खिलाड़ी बने।

रिटायरमेंट के बाद बलबीरजी ने हॉकी को आगे बढ़ाने का काम जारी रखा। वह 1975 की विश्व कप विजेता टीम के मैनेजर थे। इस टीम की अगुआई अजीत पाल सिंह कर रहे थे। 1982 में नई दिल्ली में हुए एशियाई खेलों की मशाल जलाने का सम्मान भी बलबीर सिंह को दिया गया।

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