Food Poisoning: बारिश में बढ़ जाते हैं फूड पाॅइज़निंग के मरीज, शुरुआती तौर पर अपनाएं ये घरेलू उपाय, मिलेगी राहत...
Food Poisoning: बारिश में बढ़ जाते हैं फूड पाॅइज़निंग के मरीज, शुरुआती तौर पर अपनाएं ये घरेलू उपाय, मिलेगी राहत...
Food Poisoning: बारिश के मौसम में फूड पॉइजनिंग का खतरा बहुत बढ़ जाता है। इस मौसम में वायरस और बैक्टीरिया का संक्रमण तेजी से होता है। एक बार ये वायरस या बैक्टीरिया पेट में पहुंच जाएं तो उल्टी-दस्त,जी मिचलाना,गंभीर पेट दर्द, घबराहट जैसे लक्षण नज़र आते हैं। फूड पाॅइज़निंग एक खतरनाक स्थिति है जो सही उपचार के बिना मरीज की जान तक ले सकती है। इसलिये सजग रहना और स्थिति को समझकर डाॅक्टर से दवाई लेना या एडमिट होना बेहद ज़रूरी है। इस आर्टिकल में आप फूड पाॅइज़निंग के कारण, लक्षण और शुरुआती दौर में बचाव के घरेलू उपाय जानेंगे।
फूड पाॅइज़निंग क्या है
फ़ूड पॉइज़निंग एक संक्रमण है जिसमें हमारा खाया हुआ भोजन हमारे लिए हानिकारक साबित होता है। दरअसल जब हम ऐसी चीज़ें खा लेते हैं जो वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमित हैं तो ये वायरस आदि हमारे पेट में पहुंच जाते हैं और बेइंतिहा तकलीफ देते हैं। खुले में रखा हुआ खाना, बासी भोजन, गंदे पानी से दूषित फल-सब्जियों का अच्छे से धोए बिना सेवन, अधपका अंडा या मीट का सेवन, कच्चा या खराब दूध और उससे बने पदार्थ , कई दिन से रखे अंकुरित अनाज,सी फूड आदि बहुत सी चीज़ें ऐसी हो सकती हैं जो आपके लिए विषैली साबित हों और आप फूड पाॅइज़निंग के शिकार हो जाएं। फूड पाॅइज़निंग आमतौर पर एंटअमीबा, ई कोलाई, साल्मोनेला, लिस्टेरिया, शिगैला, कैपाइलोबैक्टर आदि सूक्ष्मजीवों के कारण होता है।
फूड पाॅइज़निंग के लक्षण
फूड पाॅइज़निंग का असर आमतौर पर 3 से 4 दिनों या हफ्ते भर तक रहता है। इस दौरान 102 डिग्री से अधिक बुखार भी रह सकता है। फूड पाॅइज़निंग के प्रमुख लक्षण ये हैं-
1. उल्टी
2. दस्त
3. बुखार
4. पेट में ऐंठन या दर्द
5. पेट फूलना
6. थकान
7. बेचैनी
8. सिरदर्द
9. डिहाइड्रेशन
10. शरीर में दर्द आदि
फूड पाॅइज़निंग से बचाव के घरेलू उपाय
फूड पाॅइज़निंग होने पर अगर आपको पतले दस्त आ रहे हैं या पेट में भयानक दर्द है तो आप बिना देर किए डाॅक्टर को दिखाएं। खासकर बच्चों,गर्भवती और बुजुर्गों के मामले में कोई रिस्क न लें। अगर तकलीफ़ शुरुआती और घर में उपाय करके देखने लायक है तो आप यहां दिए कुछ उपाय कर के देख सकते हैं।
1. तुलसी की पत्तियों का जूस तैयार करें। इसे दिन में दो-तीन बार लें।
2. केला खाना बहुत फायदेमंद होता है। घरेलू भाषा में कहें तो यह पेट को बांधता है। केले में पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम और अन्य ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो उल्टी -दस्त के कारण हुए नुकसान की भरपाई करते हैं।
3. एक छोटी कटोरी दही में एक बड़ा चम्मच जीरा पाउडर और एक बड़ा चम्मच मेथी दाना पाउडर मिलाएं। सभी को अच्छी तरह मिक्स करें। दिन में दो बार इसका सेवन करें।
4. 10-12 पुदीने पत्तों को पीस लें। इन्हें गुनगुने पानी में घोलकर पिएं।
5. एक गिलास पानी गर्म करें । इसमें एक बड़ा चम्मच किसा हुआ अदरख एड करें और कुछ देर उबालें। अब इस पेय को लगभग ठंडा हो जाने दें। अब छान कर एक चम्मच शुद्ध शहद घोलकर पिएं।
6. एक गिलास पानी गर्म करें। उसमें दो टेबल स्पून नींबू का रस और हाफ टी स्पून सेंधा नमक मिलाएं। इसे दिन में दो बार बनाकर पिएं।
7. एक टेबल स्पून नींबू के रस में एक से दो चुटकी पिसी शक्कर अच्छे से मिक्स करें। इसका दिन में दो से तीन बार सेवन करें।
8. एक कप गर्म पानी में दो टेबल स्पून एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं और अच्छे से घोलें। इसे खाना खाने से ठीक पहले पिएं।
9. तीन से चार टेबल स्पून सादा दही लें, उसमें चुटकी भर काली मिर्च, तुलसी के कुछ बारीक कटे पत्ते और सी साॅल्ट मिलाएँ। आराम मिलने तक दिन में कई बार सेवन करें।
10. एक कप पानी में जीरा उबालें और उसमें ताज़ा निकाला हुआ धनिया का रस मिलाएँ और दिन में दो बार पिएँ। आप इसमें हींग भी मिला सकते हैं।
11. पानी खूब सारा पिएँ। आप एक लीटर पानी में दो टेबल स्पून ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस, स्वादानुसार शक्कर और नमक मिलाएं। इसे हर थोड़ी देर में पीते रहें। इससे डिहाइड्रेशन से बचाव होगा।