CG Medical College: कवर्धा, जांजगीर का रेट मनेंद्रगढ़ और गीदम के बराबर, 1206 करोड़ के चार मेडिकल कॉलेज का टेंडर का आज होगा फायनल...

CG Medical College: छत्तीसगढ़ का सीजीएमससी राज्य के चार कोनों पर स्थित चार मेडिकल कॉलेज के लिए एक ही टेंडर आज फायनल करने जा रहा है। इससे एक ही कंपनी को हजार करोड़ से अधिक का काम मिल जाएगा। अनपढ़ आदमी भी समझ जाएगा कि जो लागत मनेंद्रगढ़ और धुर नक्सल प्रभावित गीदम में आएगी, वो जांजगीर और कवर्धा में नहीं आएगी। एक तरह से कहा जाए तो चारों कालेज का एक टेंडर करके अफसरों द्वारा सरकारी खजाने पर डकैती डालने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें, सीजीएमएससी के पास एक करोड़ की बिल्डिंग बनाने और सुपरविजन करने लायक स्टाफ नहीं, उसे सिस्टम ने हजार करोड़ की बिल्डिंग सौंप दिया है।

Update: 2025-01-06 06:05 GMT

CG Medical College: रायपुर। छत्तीसगढ़ का मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन भ्रष्टाचार कारपोरेश बन गया है। दरअसल, ऐसे बड़े काम पीडब्लूडी से कराना चाहिए क्योंकि, उसके पास टीम होती है और तजुर्बा भी। मगर सिस्टम सीजीएमससी को इसलिए आगे कर देता है कि कारपोरेशन आटोनामस बॉडी होता है, उसे वित्त महकमे से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती। एमडी ही पूरा भाग्यविधाता होता है।

अब बात चार मेडिकल कालेज भवन की तो ताज्जुब यह है कि अभी तक साइट सलेक्शन फायनल नहीं हुआ है। एनएमसी के अनुसार पहले अस्पताल बनाना है, उसके बाद कालेज भवन। मगर भारत सरकार से मिले 1206 करोड़ रुपए को खर्च करने में सीजीएमससी को इतनी हड़बड़ी है कि द्रुत गति से टेंडर कर रहा, उपर से चारों कालेजों का एक ही टेंडर।

रमन सिंह सरकार के दौरान पीडब्लूडी और हेल्थ सिकरेट्री रहे एक रिटायर आईएएस ने बताया कि एक ही कंपनी को चारों काम देना न्यायसंगत नहीं। जाहिर है, मनेंद्रगढ़ और गीदम के रेट पर कवर्धा और जांजगीर में कॉलेज बनाना वित्तीय निरंकुशता होगी। मनेंद्रगढ़ में पहाड़ी और घाटी के उटपटांग जगह पर कालेज बनना है, वहां खर्च ज्यादा आएगा। इसी तरह गीदम नक्सल प्रभावित इलाके में है। इसके उलट जांजगीर और कवर्धा मैदानी और वेल कनेक्टिंग इलाका है।

एक टेंडर पर सवाल

सीजीएमएससी ने चारों कॉलेजों के लिए अलग-अलग टेंडर करने की बजाए एक ही टेंडर किया है। इस पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि एक ही कंपनी को चारों मेडिकल कालेज बिल्डिंग का काम दिए जाने पर निर्माण में काफी टाईम लगेगा। चारों कॉलेजों के लिए अगर अलग-अलग टेंडर निकलता को काम फास्ट और स्मूथली होता। अलग-अलग कंपनियां होने से उनमें प्रतिस्पर्धा होती है। इससे काम की क्वालिटी अच्छी होती है। सड़कों का काम कभी भी एक ठेकेदार को नहीं दिया जाता।

कंसलटेंट और ड्राइंग, डिजाइन

छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हो रहा कि बिना कंसलटेंट नियुक्त किए और ड्राइंग, डिजाइन के टेंडर किया गया है। सीजीएमएससी की शर्तों के अनुसार बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी ही कंसलटेंट नियुक्त करने के साथ सुपरविजन का काम करेगी। यही नहीं, भवन का डिजाइन और ड्राइंग भी वही बनाएगी। याने सीजीएमएससी चारों भवनों का कंप्लीट काम निर्माण कंपनियों को सौंप देगी। ऐसे में, प्रश्न खड़ा होता है कि कहीं कोई कॉलेजों की जरूरत के हिसाब से ड्राइंग, डिजाइन नहीं बना और कंपनियां बिल्डिंग बना दी, तो फिर उसे कौन देखेगा?

बिना लैंड भवन निर्माण

छत्तीसगढ़ सरकार ने चार मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है, इसमें से कुछ के लिए अभी जगह भी तय नहीं हो पाई है। याने जगह फायनल किए बिना भवन का टेंडर की प्रक्रिया चालू कर दी गई है।

अलग-अलग टेंडर

छत्तीसगढ़ पीडब्लूडी के एक रिटायर ईएनसी का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर अगर निर्माण कार्य होना है तो टेंडर अलग-अलग करना चाहिए। क्योंकि, कवर्धा और जांजगीर की कनेक्टिविटी बढ़ियां है, सामग्री की उपलब्धता भी होगी। इसलिए मनेंद्रगढ़ और गीदम की तुलना में इन दोनों का रेट कम होना चाहिए। क्वालिटी की मानिटरिंग भी अलग-अलट टेंडर होने पर ठीक से किया जा सकता है। पूर्व प्रमुख अभियंता ने कहा कि भले ही एक ही पार्टी को टेंडर मिल जाए, मगर एक साथ नहीं करना चाहिए।

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