वन विभाग नियमों को दरकिनार कर तेंदुआ पकड़ने का कर रहा खेल…तत्काल बंद करें यह खेल नहीं तो न्यायलय जाने के लिए होंगे मजबूर : वन्य जीव प्रेमी..*

Update: 2021-09-18 23:00 GMT

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रायपुर 17 सितम्बर कांकेर वनमंडल में भैसकटआ में कल रात को फिर एक तेंदुए को पकड़ने उपरांत रायपुर के नितिन सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी वी नरसिंगा राव को पत्र लिखकर कहा है कि नियम विरुद्ध तेंदुआ पकड़ने की कार्यवाही बंद करें नहीं तो उनके और कांकेर डीएफओ के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के लिए न्यायलय जाने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा।

सिंघवी ने लिखा है कि कानून को दरकिनार कर विभाग मनमरजी से तेन्दुओं को पकड़ रहा है और छोड़ रहा है। जबकि कहीं पर भी यह प्रावधान नहीं है कि किसी प्रॉब्लममैटिक एनिमल को चिन्हित करने के लिए सीधे पिंजरा लगायें, और एक-एक करके वन्यजीव को पकड़ा जाए। यह कानून के विरुद्ध है। यहां तक की किसी भटके हुए मांसाहारी वन्यप्राणी जिनमें बाघ और तेंदुआ भी शामिल है, को पकड़ने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के अनुसार भी किसी मांसाहारी वन्यप्राणी को सीधे पकड़ा नहीं जा सकता, उसके लिए पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

*क्या है राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर*

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के अनुसार प्रोब्लेमाटिक एनिमल को चिन्हित करने के लिए पहले एक समिति बनाई जाएगी, भारतीय वन जीव संसथान से या कही से एक्सपर्ट बुलवाए जायेंगे। कई जगह कैमरा ट्रैप लगाया जाये। अगर कोई शिकार किया गया है तो उसके पास कैमरा ट्रैप लगाया जायेगा और चिन्हित होने के बाद ही पिंजरा लगाया जाना है। ना कि पहले एक एक कर के पिंजरे में सभी को पकडे और चिन्हित करते रहे।

जिस प्रकार एक के बाद एक तेंदुआ पकड़ने की कार्रवाई की जा रही है वह कहीं पर भी प्रावधानित नहीं है। कांकेर वन मंडल में अन्य कई तेंदुए विचरण कर रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि वन विभाग एक-एक कर प्रत्येक तेंदुए को पकड़कर जांच करेगा की वही प्रॉब्लममैटिक तेंदुआ तो नहीं है। जबकि वन विभाग अच्छे से जनता है कि अगर वह प्रॉब्लममैटिक है तो भी उसे पकड़ कर बंधक बनाकर नहीं रख सकते और तेंदुए के मामले में उसे अन्यत्र छोड़े जाने का भी प्रावधान नहीं है।

सिंघवी ने लिखा है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) और डी.एफ.ओ. कांकेर वन मंडल द्वारा की जा रही कार्रवाई वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11 के प्रावधानों के विरुद्ध है जिसके तहत 3 से 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाईयों को तत्काल रोके तथा कल पकड़े गए तेंदुए को तत्काल छोड़े अन्यथा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों का उलंघन पाए जाने पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।

 

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