Yogini Ekadashi 2024 : योगिनी एकादशी व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं...यहां जानें

जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है और उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उन्हें वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.

Update: 2024-06-30 09:24 GMT

Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी का व्रत इस साल 02 जूलाई दिन मंगलवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

मान्यता है कि जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है और उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उन्हें वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है, लेकिन शास्त्रों में योगिनी एकादशी व्रत को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं।

इन नियमों का पालन करने वालों को ही पूजा का पूरा लाभ मिलता है। वैसे तो यह व्रत एकादशी के दिन रखा जाता है, लेकिन व्रत का पारण दशमी तिथि की शाम से लेकर द्वादशी तिथि की सुबह तक किया जाता है। आइए जानते हैं एकादशी व्रत के नियम क्या हैं...



योगिनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें? 

- अगर आप योगिनी एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं तो दशमी की रात से लेकर द्वादशी की सुबह तक कुछ भी न खाएं। हालांकि, इस व्रत के दौरान आप फल खा सकते हैं।

- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम को सोना नहीं चाहिए। रात्रि में जागरण करके भगवान का कीर्तन करना चाहिए। यदि विश्राम करना हो तो जमीन पर लेटकर विश्राम करें। बिस्तर पर न सोएं।

- योगिनी एकादशी की पावन तिथि भगवान विष्णु की पूजा और उनके प्रति भक्ति का प्रतीक है। इसलिए इस दिन संयम और सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए।

- योगिनी एकादशी के दिन आपको अपने क्रोध पर काबू रखना चाहिए और इस दिन किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए। ऐसा करने से आप पाप के भागीदार बन सकते हैं।

- शास्त्रों में एकादशी तिथि को सभी तिथियों में शुभ माना गया है, ऐसे में इस दिन कठोर शब्द नहीं बोलने चाहिए और न ही इस दिन किसी से झगड़ा करना चाहिए।

- अगर आप एकादशी का व्रत नहीं भी रख रहे हैं तो भी एकादशी के दिन चावल न खाएं। इस दिन सात्विक भोजन करें। इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।



योगिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि 

- योगिनी एकादशी व्रत के दिन सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। पूजा कक्ष को साफ करें।

- फिर योगिनी एकादशी व्रत का संकल्प लें और हाथ में चावल, जल और फूल लेकर पूजा करें।

- पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।

- पंचामृत स्नान कराने के बाद भगवान श्री विष्णु का श्रृंगार करें। उन्हें वस्त्र, पीले फूल, फल, माला, चंदन, धूप, दीप, चावल, चीनी, हल्दी, तुलसी के पत्ते, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।

- इस दौरान "ॐ भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप करते रहें। फिर विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम आदि का पाठ करें। इस दिन योगिनी एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।

- इसके बाद घी के दीपक या कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें। विष्णु जी से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पूरा दिन फलों पर व्यतीत करें। शाम को फिर से स्नान करके विष्णु जी की आरती करें।

- फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में योगिनी एकादशी व्रत का पारण करें। मान्यता के अनुसार इन नियमों का सही तरीके से पालन करने से आप पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी।

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