Vat Savitri Vrat 2024 : जानें क्या करें क्या नहीं...बरगद पूजा की विधि और महत्व

इस दिन पत्नियों को चाहिए कि वह अपने पति से कड़वा वचन न बोले, पति से झगड़ा न करें . इसके साथ ही वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ विधिवत रूप से करने की मान्यता है.

Update: 2024-06-04 10:26 GMT

वट सावित्री व्रत 06 जून को है. वट सावित्री का व्रत पत्नी अपने पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं, इसलिए इस दिन पत्नियों को चाहिए कि वह अपने पति से कड़वा वचन न बोले, पति से झगड़ा न करें और ऐसा कोई भी काम न करें जिससे पति का अपमान हो या उसके मन को ठेस पहुंचे।

इसके साथ ही वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ विधिवत रूप से करने की मान्यता है।  आइये विस्तार से जानते हैं कि वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा कैसे करें?


ये करें न करें इस दिन 




  • वट सावित्री व्रत के दिन तामसिक चीजों का सेवन करने से बचें, सहवास न करें और मांस-मदिरा के सेवन पति और पत्नी दोनों को नहीं करना चाहिए।
  • व्रत के दिन मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखें। किसी के लिए भी घृणा, ईर्ष्या करने से बचें।
  • व्रत वाले दिन महिलाओं सुहागिनों को सुहाग का सामान दान में दें, साथ ही अपने श्रृंगार और दान के लिए सफेद और काली रंग की चूड़ी, साड़ी, बिंदी का उपयोग न करें।
  • महिलाएं पूजन से पहले सोलह श्रृंगार करें और फिर पूजा करें, यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए है।
  • इस दिन वट वृक्ष की ही पूजा करें और पूजन के बाद अपने अखंड सौभाग्य एवं परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगे।
  • पूजा के बाद कच्चा सूत से वट वृक्ष को बांध लें और 5, 7, 9,21, 51 या 108 परिक्रमा करें। परिक्रमा की गिनती के लिए सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी और सिंदूर की पुड़िया का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस व्रत का पारण भीगे हुए चने से किया जाता है, इसलिए सुबह 12 चने के दाने भिगो लें और इसे खाकर व्रत का पारण करें।
  • पूजा के बाद वट वृक्ष में सावित्री माता का स्मरण करते हुए सुहाग की चीजें चढ़ाएं और उसे किसी ब्राह्मण, सास, ननद या सुहागन स्त्री को दान में दें।
  • व्रत पारण में चने का उपयोग करें साथ ही फलहार के लिए बेसन से बनी चीजें, जैसे हलवा लड्डू या बर्फी का सेवन करें।


बरगद के पेड़ की पूजा के लिए सामग्री 


गंगाजल, दूध, घी, शहद, कुमकुम, हल्दी, चंदन, फूल,सुपारी,नारियल,मौली,कलावा,दीपक,अगरबत्ती,धूप,कलश,फल,मिठाई,पान,सुपारी आदि।


बरगद के पेड़ की पूजा कैसे करें? 




  • वट सावित्री के दिन व्रत रखने से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और मसालेदार भोजन से परहेज करें।
  • व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • बरगद के पेड़ की जड़ों को साफ करें।
  • बरगद के पेड़ पर लाल या पीले रंग के वस्त्र चढ़ाएं।
  • एक कलश स्थापित करें और उसमें जल भरें।
  • कलश में नारियल, सुपारी, मोरी, मौली, कलावा आदि रखें।
  • पेड़ को गंगाजल, दूध, घी, शहद, कुमकुम, हल्दी और चंदन से स्नान कराएं।
  • उसके बाद धूपबत्ती जलाएं और आरती करें।
  • फूल, बेल पत्र, दूब, सुपारी, नारियल, मोरी, मौली, कलावा, दीपक, अगरबत्ती और धूप अर्पित करें।
  • सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।
  • बरगद के पेड़ को जल अर्पित करते समय, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
  • पेड़ की जड़ों में घी का दीपक जलाएं।
  • पेड़ की परिक्रमा करें और 11 बार माला फेरें।

बरगद के पेड़ की पूजा करने का महत्व

बरगद का पेड़ पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। इसकी पूजा करने से ग्रहों की शांति होती है और पापों का नाश होता है। बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। बरगद के पेड़ की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति हो सकती है। इतना ही बरगद के पेड़ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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