Skandamata : स्‍कंदमाता की पूजा करने से होती है संतान प्राप्ति, बच्‍चों की आयु लम्बी... माँ को प्रिय है पीले फल और पीली मिठाई

मां ज्ञान, इच्‍छाशक्ति, और कर्म का मिश्रण हैं। जब शिव तत्‍व का शक्ति के साथ मिलन होता है तो स्‍कंद यानी कि कार्तिकेय का जन्‍म होता है। आइए जानते हैं स्‍कंदमाता की पूजाविधि, पूजा मंत्र, आरती और भोग।

Update: 2024-04-12 09:11 GMT

नवरात्रि का कल पांचवां दिन है. पांचवें दिन स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का पांचवा रूप स्‍कंदमाता  Skandamata कहलाता है। प्रेम और ममता की मूर्ति स्‍कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है और मां आपके बच्‍चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं। भगवती पुराण में स्‍कंदमाता को लेकर ऐसा कहा गया है कि नवरात्र के पांचवें दिन स्‍कंद माता की पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मां ज्ञान, इच्‍छाशक्ति, और कर्म का मिश्रण हैं। जब शिव तत्‍व का शक्ति के साथ मिलन होता है तो स्‍कंद यानी कि कार्तिकेय का जन्‍म होता है। आइए जानते हैं स्‍कंदमाता की पूजाविधि, पूजा मंत्र, आरती और भोग।



इसलिए कहलाईं स्‍कंदमाता

नवरात्रि की पांचवीं देवी को स्‍कंदमाता कहा जाता है। भगवान शिव की अर्द्धांगिनी के रूप में मां ने स्‍वामी कार्तिकेय को जन्‍म दिया था। स्‍वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्‍कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्‍कंदमाता कहा गया है। जो कि प्रेम और वात्‍सल्‍य की मूर्ति हैं।


मां स्‍कंदमाता का स्‍वरूप

मां स्‍कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं जो कि स्‍वामी कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर विराजमान हैं। मां के दोनों हाथों में कमल शोभायमान हैं। इस रूप में मां समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं। मां के चेहरे पर सूर्य के समान तेज है। स्‍कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

स्‍कंदमाता का भोग

स्‍कंदमाता को पीले रंग की वस्‍तुएं सबसे प्रिय हैं। इसलिए उनके भोग में पीले फल और पीली मिठाई अर्पित की जाती है। आप इस दिन केसर की खीर का भोग भी मां के लिए बना सकते हैं। विद्या और बल के लिए मां को 5 हरी इलाइची अर्पित करें और साथ में लौंग का एक जोड़ा भी चढ़ाएं।


पीले रंग का महत्‍व

स्‍कंदमाता की पूजा में पीले या फिर सुनहरे रंग के वस्‍त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां का श्रृंगार पीले फूल से करें और मां को सुनहरे रंग के वस्‍त्र अर्पित करें और पीले फल चढ़ाएं। पीला रंग सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है और इस रूप में दर्शन देकर मां हमारे मन को शांति प्रदान करती हैं।

मां स्‍कंदमाता का पूजा मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्‍कंदमाता की पूजाविधि

मां स्‍कंदमाता के लिए आप रोजाना की तरह सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और पूजा के स्‍थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या फिर तस्‍वीर को स्‍थापित करें। पीले फूल से मां का श्रृंगार करें। पूजा में फल, फूल मिठाई, लौंग, इलाइची, अक्षत, धूप, दीप और केले का फल अर्पित करें। उसके बाद कपूर और घी से मां की आरती करें। पूजा के बाद क्षमा याचना करके दुर्गा सप्‍तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मां आपका कल्‍याण करेंगी और आपकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण करेंगी।


ज्योतिषाचार्य पंडित दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार माँ की आराधना की विशेष विधि :-

  • पंचमी को बुध ग्रह आपको बनायेगा बुद्धिमान
  • सोमवार को माँ स्कन्दमाता के पूजन से संतान सुख तो प्राप्त होगा ही साथ ही आपके परिवार में बढेगा सामंजस्य
  • ध्यान मंत्र : सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥
  • भोग : केले या पीले फलों का भोग
  • वस्त्र : नारंगी रंग के वस्त्र चमकीले बॉर्डर के साथ।
  • पश्चिम दिशा का करें पूजन| होगी धन वर्षा|
  • मंत्र : 'ह्रीं ह्रीं वारुणी देव्यै नम:' से पश्चिम दिशा में शक्कर युक्त जल का छिडकाव करें| धन वृद्धि होगी|

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