Shardiya Navatri me Duraga Saptashatiनवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?, इसका क्या महत्व है, जानिए इससे जुड़ी बाते
Shardiya Navatri me Duraga Saptashatiनवरात्रि के दिनों में रामायण और दुर्गा पाठ करने की महिमा है।इसके लिए दुर्गा सप्तशती पाठ करना जरुरी है।जानते है इस पाठ का महत्व
Shardiya Navatri me Duraga Saptashati :शारदीय नवरात्रि १५ अक्टूबर 2023 (Shardiya Navatri ) दिन रविवार से शुरू हो रहा है, जो 24 अक्टूबर को समाप्त होगा। नवरात्रि के नौं दिनों में मां की आराधना और पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही मां को प्रसन्न करने के लिए माता के भक्त नौवों की देवियों की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी। इसके साथ ही व्रत रखने वाला व्यक्ति पूजा करने के साथ-साथ रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो जाती है। जानिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन गलतियों को नहीं करना चाहिए।
नौ रात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का अद्भुत विशेष महत्व है। अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है दुर्गा सप्तशती का पाठ। अगर नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि-विधान से नियमित किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं। और दुर्गा सप्तशती पाठ सुनने वाला सभी देवी कृपा के पात्र बनते हैं।दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए सबसे उत्तम समय प्रातः काल माना जाता है। पाठ के लिए राहुकाल का परित्याग करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती का किस दिन कौन सा पाठ करना चाहिए?
गुरुवार और शुक्रवार के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ कर मां की आराधना करने का फल, दो लाख चंडी पाठ के फल के बराबर होता है। शनिवार का दिन देवी मां का ध्यान कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना, एक करोड़ चंडी पाठ के फल के बराबर होता है।
दुर्गा सप्तशती पढ़ने का क्या नियम है?
दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व वही जानता है जो माता का अनन्य भक्त हो। क्योंकि इस पाठ को करने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इस पाठ को विशेष रूप से नवरात्रि में किया जाता है। दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय है। पाठ करने वाला और पाठ सुनने वाला दोनों ही देवी कृपा के पात्र बनते हैं।
दुर्गा सप्तशती की किताब बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। वैसे तो संस्कुत में ही इस पाठ का महत्व है लेकिन जिस व्यक्ति को संस्कृत पढ़ने में दिक्कत होती है, उसके लिए बाजार में हिन्दी के बहुत सारे कताब मिलते हैं। दुर्गा सप्तशती में माँ दुर्गा के द्वारा लिए गये अवतारों की जानकारी प्राप्त होती है।
दुर्गा सप्तशती का किस दिन कौन सा पाठ करना चाहिए?- दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय हैं। जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है। जो इस प्रकार हैं-दुर्गा सप्तशती में 13 अध्यायों है जिसमे 700 श्लोकों के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इन 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है। इन चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जानते हैं।
- दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय है मधु कैटभ वध
- दुर्गा सप्तशती का दूसरा अध्याय है देवताओ के तेज से माँ दुर्गा का अवतरण और महिषासुर सेना का वध
- दुर्गा सप्तशती के तीसरा अध्याय है महिषासुर और उसके सेनापति का वध
- दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय है इन्द्राणी देवताओ के द्वारा माँ की स्तुति
- दुर्गा सप्तशती के पांचवे अध्याय में देवताओ के द्वारा माँ की स्तुति और चन्द मुंड द्वारा शुम्भ के सामने देवी की सुन्दरता का वर्तांत
- दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय धूम्रलोचन वध
- दुर्गा सप्तशती का सातवां अध्याय है चण्ड मुण्ड वध
- दुर्गा सप्तशती का आठवां अध्याय 8 रक्तबीज वध
- दुर्गा सप्तशती का नवां और दसवां अध्याय निशुम्भ शुम्भ वध
- दुर्गा सप्तशती का ग्यााहवां अध्याय है देवताओ द्वारा देवी की स्तुति और देवी के द्वारा देवताओ को वरदान
- दुर्गा सप्तशती का बारावां अध्याय देवी चरित्र के पाठ की महिमा और फल
- दुर्गा सप्तशती अंतिम और तेरावहां अध्याय है सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?
नवरात्र में माता को प्रसन्न करने के लिए साधक बहुत तरह के पूजन हवन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि-विधान से किया जाए तो माता प्रसन्न होती हैं। और भक्त को शक्तियां प्रदान करती हैं। दुर्गा सप्तशती करने विधि को भी भी जान लें-
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें जिसने नवरात्र के समय अपने घर में कलश की स्थापना की है।श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक पाठ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसके लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें। इसके बाद पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें। फिर माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें।श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का पाठ जरूर करें। सभी पाठ पूर्ण माना जाता है।दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन के साथ-साथ मन भी साफ होना चाहिए। इसलिए पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें।दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले शापोद्धार करना सबसे जरूरी माना जाता है। अगर इसके बिना आप पाठ करते हैं, तो उसका फल नहीं मिलता है। क्योंकि इसके हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। इसके साथ ही तेज आवाज में पाठ न करें। अगर संस्कृत में कठिन लग रहा है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र के अलावा कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
इसके बाद गणेश आदि देवताओं को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ मेंलाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें और मंत्रों से संकल्प लें।अब देवी का ध्यान करें और पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।इसके बाद अर्गला, कीलक और कवच के पाठ के बाठ के बाद आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करिए।पाठ और आरती के बाद आपको क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।