Sharad Purnima Kab Hai 2023 शरद पूर्णिमा कब है जानिए सही तारीख , पूजा-विधि व महत्व, किस रात रखेंगे चंद्रमा की छांव में खीर

Sharad Purnima Kab Hai 2023शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। जानते हैं कब है शरद पूर्णिमा इसकी पूजाविधि

Update: 2023-09-27 14:33 GMT

Sharad Poornima 2023 : शरद पूर्णिमाशरद पूर्णिमाअश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो कि अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस पर्व को शरद ऋतु में मनाने का अर्थ होता है, और यह पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा के चमकने के साथ मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा का महत्व  बहुत है। इस दिन लोग व्रत रखकर और विशेष प्रकार के पूजा-अर्चना के साथ भगवान विष्णु मां लक्ष्मी और दुर्गा की पूजा करते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन लोग रात्रि भर जागकर व्रत करते हैं और  पूजन करते हैं। इस दिन खास तरीके से चंद्रमा का दर्शन करने का महत्व होता है,  शरद पूर्णिमा के दिन लोग खिचड़ी और कद्दू की सब्जी बनाकर प्रसाद के रूप में खाते हैं।


शरद पूर्णिमा का समय  और पूजा विधि

इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को रहेगी। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं।  28 अक्टूबर को 4:17 AM पर पूर्णिमा तिथि लगेगी, जो कि 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि 1:58 AM पर तक रहेगी, इस लिहाज से 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।

इस दिन पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सजाने के लिए साफ सफाई करें।पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।लक्ष्मी माता की मूर्ति को गंध और अक्षत चढ़ाएं।आपके पसंदीदा फल को धूप दीपक के साथ पूजा स्थल पर रखें।अब एक कटोरी में दूध डालें और उसमें चीनी, गुड़, इलायची और बादाम डालें।उसके बाद, एक कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें चावल का आटा (रावा) डालें। चावल को सुनहरे ब्राउन करें।अब चावल को दूध के साथ मिलाकर बनाएं।इस बने हुए प्रसाद को लक्ष्मी माता को अर्पण करें।फिर व्रती और उनके परिवार के सभी लोग प्रसाद को खाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

शरद पूर्णिमा का महत्व 

शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। इसलिए इस रात को खीर बनाकर खुले आसमान के तले रखा जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है। इस रात को मां लक्ष्मी स्वर्ग से पृथ्वी पर आती हैं। इस रात मां लक्ष्मी की जो भी व्यक्ति पूजा करता हुआ दिखाई देता है। मां उस पर कृपा बरसाती हैं।

पुराणों में ऐसी कथा आती है कि इस रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इसलिए शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान से लक्ष्मी-नारायण का पूजन करें। खीर बनाकर रात में खुले आसमान के नीचे ऐसे रखें, ताकि चन्द्रमा की रोशनी खीर पर पड़े। अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं। फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे। इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।

शरद पूर्णिमा की रात को जागने का विशेष महत्व दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी यह देखने के लिए घूमती कि कौन जाग रहा है। जो जगता है उसका माता लक्ष्मी कल्याण करती हैं।

शरद पूर्णिमा की रात जब चारों तरफ चांद की रोशनी बिखरती है उस समय मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन का लाभ होगा।

मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत पसंद है। सुपारी का इस्तेमाल पूजा में करें। पूजा के बाद सुपारी पर लाल धागा लपेटकर उसको अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके उसे तिजोरी में रखने से आपको धन की कभी कमी नहीं होगी।

शरद पूर्णिमा की रात भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। खीर को पूर्णिमा वाली रात छत पर रखें। भोग लगाने के बाद उस खीर का प्रसाद ग्रहण करें। इस उपाय से कभी पैसे की कमी नहीं होगी।

शरद पूर्णिमा की रात को हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इससे आपके घर में सुख शांति बनी रहेगी।

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