Sharad Purnima 2024: ऐसे करें शरद पूर्णिमा की पूजा, तो होंगी मां लक्ष्मी प्रसन्न

Sharad Purnima 2024। आज 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। आज के दिन मां लक्ष्मी, चंद्रदेव, भगवान श्रीकृष्ण, कुबेर की विशेष पूजा-अर्चना होती है। आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा की पूजा किस तरह से करनी चाहिए..

Update: 2024-10-16 07:13 GMT

Sharad Purnima 2024। आज 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। 16 अक्टूबर की रात 8 बजकर 40 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होगी, जो 17 अक्टूबर को 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का चंद्रोदय 16 अक्टूबर को होगा, इसलिए इसी दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है।

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इसके लिए शुभ मुहूर्त 11 बजकर 42 मिनट से लेकर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

शरद पूर्णिमा की सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।

रात में पूजा से पहले एक बार फिर से स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें।

घर में किसी साफ जगह पर लकड़ी की पटिया रखकर इस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।

शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

मां को फूलों की माला पहनाएं।

मां लक्ष्मी को अबीर, गुलाल, रोली, वस्त्र, चावल, सुपारी, पान, सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।

फल और मिठाई का भोग भी जरूर लगाएं।

घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर किचन, छत, मंदिर में दीपक लगाएं।

आखिरी में मां लक्ष्मी की आरती करें।

रात में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें।

17 अक्टूबर गुरुवार की सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा दें।

इस तरह पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

सभी पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है शरद पूर्णिमा को

शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन लोग मां लक्ष्मी, चंद्रदेव और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। शरद पूर्णिमा शरद ऋतु के आने का भी संकेत है। वहीं ये भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं, इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी जाती है खीर

मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करते हैं। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं के साथ चमकता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी के नीचे खड़े रहने से शरीर को फायदा पहुंचता है, साथ ही मन में भी पॉजिटिव विचार आते हैं और नकारात्मकता दूर होती है।

चंद्र किरणों से खीर में आ जाते हैं अमृत जैसे औषधीय गुण

यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग खीर बनाकर और उसे जालीदार कपड़े या छन्नी से ढंककर रात में खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्री विष्णु को उस खीर का भोग लगाकर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

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