जरुरतमंदों की सेवा ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग, पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी

Update: 2023-09-23 13:31 GMT

पड़ाव आश्रम। वाराणसी

हमारे परमपूज्य गुरुदेव अघोरेश्वर महाप्रभु द्वारा जो बताया गया मार्ग है, उनकी वाणियाँ जो उनके द्वारा रचित साहित्य में अंकित हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करती हैं उन पर चलने से ही हमें उसका लाभ मिलेगा| जब तक हम किसी के भरोसे ही रहेंगे तब तक कुछ कर नहीं पाएंगे| हम अपनी उपेक्षा करके अपना ही नेतृत्व करना भूल जाते हैं| इस आधुनिक युग के चकाचौंध में हमारी आँखें चौंधिया गई हैं जिसके चलते जो हमें देखना चाहिए वह हम नहीं देख पा रहे हैं और अपने वास्तविक कर्तव्य से विमुख हो गए हैं| समाज में बहुत से लोगों के पास आवश्यकता से अधिक चीजें एकत्रित हो जाती हैं, तो जो लोग भी सक्षम हैं, वह गरीबों, जरुरतमंदों की मदद अवश्य करें| क्योंकि ईश्वर का रास्ता वहीँ से जाता है| अघोरेश्वर महाप्रभु को किसी की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उन्होंने हमारे-आपके लिए ही अपना सबकुछ दिया है| लोकतंत्र अच्छा है लेकिन इसके चलते बहुत सी बुराईयाँ भी समाज में आई हैं| जब से ग्राम पंचायत स्तर पर राजनीति शुरू हुयी समाज में वैमनस्यता बढ़ गई और आपसी मेल-जोल का सारा व्यवहार दूषित हो गया| पहले एक-दूसरे के सहयोग से सारा काम हो जाता था| विकास के नाम पर वृक्ष काटे जा रहे हैं जिसका ही परिणाम है कि आज प्रकृति में इतना उथल-पुथल है, इतनी बेतहासा गर्मी पड़ रही है| अघोरेश्वर महाप्रभु ने कहा है कि हम अपनी प्रकृति को उस परा प्रकृति की प्रकृति में देखें|

आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ० वीपी सिंह (पूर्व अपर स्वास्थ्य निदेशक) थे| अन्य वक्ताओं में डॉ. अशोक कुमार सिंह (अघोर शोध संस्थान के निदेशक), डॉ० संतोष सिंह (बीएचयू), रविन्द्र सिंह, शशि गुप्ता, अरविन्द मेहरा, अभिषेक विक्रम सिंह (सोनू), श्रीमती प्रीतिमा ने अपने विचार व्यक्त किये| गिरिजा तिवारी ने भजन गया और सुष्मिता ने मंगलाचरण किया| गोष्ठी का सञ्चालन श्री राजीव सिंह (रानू) ने तथा धन्यवाद ज्ञापन आश्रम व्यवस्थापक श्री हरिहर यादव जी ने किया|

मनाई गई अघोरेश्वर महाप्रभु की 87वीं जयंती

दर्शन-पूजन के साथ अघोरेश्वर महाप्रभु की 87वीं जयंती संस्था के अध्यक्ष पूज्यपाद औघड़ गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में मनाई गई। शुक्रवार को पड़ाव स्थित अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के पुनीत प्रांगण में प्रातःकाल 5:30 बजे प्रभातफेरी से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। श्रद्धालु बड़ी संख्या में अघोरेश्वर महाप्रभु का जयकारा लगाते हुए अघोरेश्वर महाविभूति स्थल पहुंचे। वहाँ से कलश में गंगाजल लिया और पड़ाव आश्रम वापस आये। आगे भक्तों ने आश्रम परिसर में सफाई-श्रमदान किया। सुबह 8:00 बजे पूज्य गुरुपद बाबा जी ने अघोरेश्वर बाबा भगवान राम जी के चिरकालिक आसन का विधवत् पूजन संपन्न किया। पृथ्वीपाल जी ने सफलयोनि का पाठ किया। पाठ के उपरांत पूज्यपाद बाबा द्वारा मन्दिर परिसर में हवन किया गया। श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन कर अघोरेश्वर महाप्रभु से आशीर्वाद लिए और अन्नपूर्णा नगर में जाकर प्रसाद ग्रहण किया। मालूम हो कि पड़ाव आश्रम पर दो दिवसीय लोलार्क षष्ठी व अघोरेश्वर जयंती पर्व का आयोजन किया गया था। इससे पूर्व दो दिनों से चल रहे “अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्त्वं गुरो: परम्” के अखंड संकीर्तन का समापन अपराह्न 4:00 बजे पूज्य बाबा औघड़गुरुपद संभव राम जी द्वारा पूजन के साथ किया गया।

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