Sawan Purnima 2025: 8 या 9 अगस्त कब है सावन पूर्णिमा, जानें पूजा का मुहूर्त, पूजन विधि और तिथि, करें ये 5 उपाय, भगवान शिव कृपा से बदल जाएगा आपका भाग्य

Sawan Purnima 2025: सनातन धर्म में सावन माह को बेहद पवित्र और दिव्य माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह महीना ईश्वरीय ऊर्जा से भरपूर होता है और इसका हर दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। खासतौर पर सावन पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा करने पर सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। अगर आप भी इस अवसर पर कुछ खास उपाय अपनाते हैं, तो भाग्य में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।

Update: 2025-08-07 12:33 GMT

Sawan Purnima 2025

Sawan Purnima 2025: सनातन धर्म में सावन माह को बेहद पवित्र और दिव्य माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह महीना ईश्वरीय ऊर्जा से भरपूर होता है और इसका हर दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। खासतौर पर सावन पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा करने पर सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। अगर आप भी इस अवसर पर कुछ खास उपाय अपनाते हैं, तो भाग्य में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।

पूजा का मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार, इस साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 8 अगस्त को होगी। दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर सावन पूर्णिमा की शुरूआत होगी और तिथि का समापन 9 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। चंद्रोदय का समय 9 अगस्त को शाम 07 बजकर 21 मिनट पर होगा। आज के दिन चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।

स्नान-दान मुहूर्त-

सावन पूर्णिमा पर स्नान-दान 09 अगस्त को किया जाना श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 04:22 से 05:04 बजे तक होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय सुबह 05:47 बजे से दोपहर 02:23 बजे तक होगा और इस समय को शुभ माना गया है। यदि आप सावन पूर्णिमा पर विशेष पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक होगा। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना से कई गुना फल प्राप्त होता है।

कहा जाता है कि सावन पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है यदि आप भगवान शिव की पूजा के समय इन 5 उपायों को अपनाएंगे तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी। आइए अब हम उपाय भी जान लेते हैं। 

1. केसर मिला दूध चढ़ाएं-

सावन पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर केसर युक्त दूध चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। दूध को शांति का प्रतीक और केसर को समृद्धि का संकेत माना गया है। जब दोनों को मिलाकर शिवजी को अर्पित किया जाए और साथ में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप किया जाए, तो यह उपाय आर्थिक कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

2. चावल और दूध का दान करें-

इस दिन चावल और दूध का दान करने से चंद्र दोष कम होता है, मानसिक शांति मिलती है और दुर्भाग्य दूर होता है। माना जाता है कि यह उपाय ग्रहों की नकारात्मकता को भी दूर कर सकता है। दान करते समय ‘ॐ सोमाय नमः’ मंत्र का जाप करने की परंपरा है।

3. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें-

सावन पूर्णिमा की रात ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। यह मंत्र रोगों का नाश करता है और आयु में वृद्धि लाता है। उत्तर दिशा की ओर मुख कर 108 बार मंत्र जपने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

4. दीपदान से दूर होंगी बाधाएं-

रात में शिव मंदिर जाकर दीपदान करना भी फलदायी माना जाता है। पीतल या मिट्टी के दीये में गाय का शुद्ध घी भरें और ‘ॐ शिवाय नमः’ मंत्र बोलते हुए दीप जलाएं। यह उपाय जीवन की अड़चनों को दूर करने में मददगार माना जाता है।

5. राम नाम लिखकर चढ़ाएं बेलपत्र-

भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय हैं। यदि आप बेलपत्र पर हल्दी या चंदन से ‘राम’ नाम लिखकर अर्पित करें, तो यह उपाय विशेष फलदायक माना जाता है। ध्यान रहे, बेलपत्र खंडित न हो और उसमें कोई कीट न लगा हो।

भगवान शिव की आरती करें-

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

इन 5 उपायों को करने के बाद आप भगवान की आरती करें और सभी को प्रसाद का वितरण करें 

अस्वीकरण: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक शास्त्रों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी परंपराओं और श्रद्धा के आधार पर साझा की गई है। किसी भी पूजा, व्रत या अनुष्ठान को करने से पहले योग्य पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। एनपीजी न्यूज किसी भी धार्मिक सुझाव की पुष्टि नहीं करता।

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