Rath Yatra 2025: 11 जून से एकांतवास में जाएंगे भगवान जगन्नाथ, जानिए कब है रथ यात्रा

ज्येष्ठ पूर्णिमा में हर साल भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते है और एकांतवास पर चले जाते हैं। इस दौरान भगवान का उपचार जड़ी बूटियों से किया जाता है और भक्त उनके दर्शन नहीं कर पाते 15 दिन तक भगवान एकांतवास में रहते है उसके बाद रथ यात्रा का आयोजन होता है।

Update: 2025-06-09 13:53 GMT
Rath Yatra 2025: 11 जून से एकांतवास में जाएंगे भगवान जगन्नाथ, जानिए कब है रथ यात्रा

Rath Yatra 2025

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ज्येष्ठ पूर्णिमा में हर साल भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते है और एकांतवास पर चले जाते हैं। इस दौरान भगवान का उपचार जड़ी बूटियों से किया जाता है और भक्त उनके दर्शन नहीं कर पाते 15 दिन तक भगवान एकांतवास में रहते है उसके बाद रथ यात्रा का आयोजन होता है।आइए जानते है इस वर्ष रथ यात्रा कब निकाली जाएगी और भगवान जगन्नाथ के एकांतवास में जाने का रहस्य क्या है। इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून को है और इस दिन भगवान को 108 घड़ों से स्नान कराया जाता है, ज्यादा स्नान करने से भगवान बीमार पड़ जाएंगे और फिर वे 15 दिनों तक एकांतवास में रहेंगे उसके 15 दिन बाद यानी 27 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी

कहा जाता है उनके एकांतवास में जाने के पीछे एक भक्त की भक्ती है. शास्त्रों के मुताबिक भगवान के प्रिय मित्र और भक्त माधवदास जगन्नाथ पूरी में अकेले रहते थे और भगवान के भजन किया करते थे। भगवान अपने भक्त माधवदास को रोज दर्शन दिया करते थे। एक बार माधवदास को उल्टी-दस्त की बीमारी हुई जिससे वे इतने कमजोर हो गए कि चलना फिरना मुश्किल हो गया। माधवदास के परिचितों ने उनकी सेवा करने की इच्छा जताई पर उन्होने मना कर दिया। माधवदास ने कहा कि भगवान जगन्नाथ ही उनका ध्यान रखेंगे। भगवान के इंतजार में माधव ने किसी की मदद नहीं ली फिर एक समय ऐसा आया कि माधवदास उठने बैठने में भी असमर्थ हो गए फिर भगवान जगन्नाथ एक सेवक बनकर माधवदास के घर पहुंचे। माधवदास बेसुध अवस्था में थे तो भगवान ने 15 दिनों तक उनकी खूब सेवा की।

15 दिन बाद जब माधवदास को होश आया तो उन्होने पहचान लिया और भगवान से पूछा कि आप मेरा रोग एक क्षण में ही दूर कर सकते हैं, आपने ऐसा क्यों नहीं किया और मेरी सेवा क्यों की, तब भगवान ने कहा कि सभी को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है मैं अपने भक्तों को कष्ट में नहीं देख सकता इसलिए मैंने तुम्हारी सेवा की। प्रभु ने कहा कि तुम्हारी बीमारी का कष्ट तुम्हे 15 दिन तक और झेलना पड़ेगा तो इस रोग को मैं ले लेता हूं और अब तुम रोग मुक्त हो। इस घटना के बाद से हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा में भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के लिए बीमार पड़ जाते हैं।

भगवान के ठीक होने के बाद रथ यात्रा का आयोजन होता हैं। बीमारी के वक्त 15 दिन तक प्रभु को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है जहां उनकी सेवा की जाती है इस दौरान मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा भगवान को कोई और नहीं देख सकता। रथयात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

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