Raksha Bandhan 2024 : यहाँ बहने भाई को राखी बांधने से पहले गोवंश को बांधती हैं "नेह का धागा"

Raksha Bandhan 2024 : जशपुर जिले में आदिवासी समाज की बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले गोवंश को नेह का धागा बांधती हैं। यह समाज सदियों से अपनी पुरातन परंपरा व तीज त्योहारों को संयोए हुए हैं।

Update: 2024-07-31 07:32 GMT

 govansh ko bandhi jati hai rakhi  : छत्तीसगढ़ में हर त्यौहार को मनाने की अपनी एक अलग ही परम्परा है. यहाँ हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई मान्यता या पुरातन परम्परा जुडी होती है और उनमें से ही एक है रक्षाबंधन का त्यौहार.  छत्तीसगढ़ का कोतबा अंचल रक्षा बंधन को गोसंरक्षण के रूप में भी मनाता है।

यहां के आदिवासी समाज की बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले गोवंश को नेह का धागा बांधती हैं। यह समाज सदियों से अपनी पुरातन परंपरा व तीज त्योहारों को संयोए हुए हैं।

आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में त्यौहारों को मनाने की अलग परम्परा पुरातन है। इस समाज का मानना है कि गोवंश प्रजाति के नर पशु खेती में घर के लोगों के साथ हाथ बंटाते हैं तो वह भी घर के सदस्य ही हुए। इसी तरह गायें दूध देकर परिवार का पेट पालती हैं। आधुनिकता के इस दौर में भी युवा और बच्चे इस पूरे आयोजन में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं।




भोजली के नाम से प्रसिद्ध है त्योहार

भोजली के नाम से प्रसिद्ध यह त्यौहार अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाता है। कुलदेवता की विधि-विधान से पूजा के साथ जवारा की पूजा करने की परम्परा भी है। 7 दिनों तक होने वाले इस विशेष पूजा के दौरान महिलाओं द्वारा भोजली के पारंपरिक गीत का भी गायन किया जाता है। सावन पूर्णिमा को जवारा के विसर्जन के साथ ही पूजा संपन्न् होती है। विसर्जन के बाद घर के पालतू कृषि मवेशियों को नहला-धुला कर साफ किया जाता है। इसके बाद इनकी पूजा कर महिलाओं द्वारा इन्हें राखी बाँधी जाती है।

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