Navratri Kanya Poojan 2025 : नवरात्र कन्या पूजन पर इन बातों की जानकारी बिना अधूरी है आपकी पूजा, जानिए मुहूर्त से लेकर सब कुछ

Navratri Kanya Poojan 2025 : पंचांग के अनुसार 29 सितंबर सोमवार को शाम के 4 बजकर 32 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ होगी और 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 7 मिनट पर इसका समापन होगा. वहीँ 1 अक्टूबर, बुधवार के दिन शाम के 7 बजकर 2 मिनट पर नवमी तिथि का समापन होगा. ऐसे में अष्टमी 30 सितंबर और नवमी 1 अक्टूबर को रहेगी.

Update: 2025-09-29 10:50 GMT

Navratri Kanya Poojan 2025  नवरात्र के अंतिम दिन अष्टमी या नवमीं तिथि को कन्या पूजन और कन्या भोजन कराया जाता है. 30 सितंबर मंगलवार के दिन की अष्टमी तिथि है. पंचांग के अनुसार 29 सितंबर सोमवार को शाम के 4 बजकर 32 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ होगी और 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 7 मिनट पर इसका समापन होगा. वहीँ 1 अक्टूबर, बुधवार के दिन शाम के 7 बजकर 2 मिनट पर नवमी तिथि का समापन होगा. ऐसे में अष्टमी 30 सितंबर और नवमी 1 अक्टूबर को रहेगी.


नवरात्र में कन्याओं को भोजन कराने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं। इसलिए मां के भक्त श्रद्धापूर्वक कुंवारी कन्याओं को को पूजना और सात्विक भोजन करते हैं। कन्याओं को भोजन कराने के दौरान कुछ बातों का अवश्य ख्याल रखना चाहिए। तभी आपको उचित फल प्राप्त होगा। आइए जानें कौन सी हैं वो बातें जिनका ख्याल रखा जाना जरूरी है।


भोजन के लिए कम से कम दो कन्याएं जरूरी 


शास्त्रों के अनुसार नौ कन्याओं को भोजन कराना उत्तम होता है। अगर नौ से अधिक कन्याएं उपलब्ध हो तो इसे सौभाग्य मानकर सहर्ष भोजन कराएं। जो लोग नौ कन्याओं को भोजन नहीं करा सकते हैं उन्हें कम से कम दो कन्याओं को जरूर भोजन करना चाहिए। एक से अधिक जितनी कन्या होगी कन्या भोजन का फल उतना शुभ माना जाता है। जो लोग एक कन्या को भोजन करवाते हैं उन्हें संपूर्ण नवरात्र के दौरान हर दिन एक कन्या को भोजन कराना चाहिए और अंतिम दिन वस्त्र, धन, फल, मिठाई देकर माता से आशीर्वाद लेना चाहिए।


हर उम्र की कन्याओं का अलग महत्व 



दुर्गा शप्तशती में कन्या भोजन के लिए दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन करने की बात कही गयी है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार दो वर्ष की कन्या कुमारी होती, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा होती है। आप जिस उम्र की कन्या को भोजन करावाते हैं उससे सम्बन्धित देवी तक कन्या के माध्यम से उनका अंश पहुंच जाता है।

कन्या पूजन विधि 




  •  कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं को पैरों को धोएं और फिर उनको आसन में बिठाकर उनको तिलक लगाएं और फिर भोजन कराएं.
  • भोजन कराने के बाद आप कन्याओं को लाल रंग के कपड़े दे सकते हैं. आप कन्याओं को लाल चुनरी, फल और रूपए दे सकते हैं. यथासंभव सात्विक भोजन कराये. जैसे पूरी, हलवा और काले चना की सब्जी.
  • पूजन के बाद सभी कन्याओं के पैर छूकर उनसे आर्शीवाद लें और फिर उनको विदा करें.




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