Navratri 2025 Kanya Puja Vidhi: कब है नवरात्रि की महाअष्टमी, जानिए क्या है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Navratri 2025 Kanya Puja Vidhi: नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व है. कन्या पूजन विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना और कन्याओं के सम्मान के रूप में किया जाता है, जिसमें भक्त नौ कन्याओं को पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं. तो आइए, जानते हैं कन्या पूजन की विधि, मंत्र, भोग और इसके धार्मिक महत्व के बारे में.

Update: 2025-04-02 10:44 GMT

Navratri 2025 Kanya Puja Vidhi: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व रखता है, विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि. इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा और उपासना की जाती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व है. कन्या पूजन विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना और कन्याओं के सम्मान के रूप में किया जाता है, जिसमें भक्त नौ कन्याओं को पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं. तो आइए, जानते हैं कन्या पूजन की विधि, मंत्र, भोग और इसके धार्मिक महत्व के बारे में.

कब है अष्टमी और नवमी तिथि?

चैत्र नवरात्रि 2025 के दौरान अष्टमी और नवमी तिथियां खास महत्व रखती हैं, क्योंकि इन दिनों कन्या पूजन का महत्व है, जिसे पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और से की जाती है.

1. अष्टमी तिथि: इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल 2025 को रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगी. अष्टमी तिथि का समापन 5 अप्रैल 2025 को रात 7 बजकर 26 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार अष्टमी 5 अप्रैल को शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन कन्या पूजन की विशेष पूजा विधि का पालन किया जाएगा.

2. नवमी तिथि: नवमी तिथि की शुरुआत 5 अप्रैल 2025 को रात 7 बजकर 26 मिनट से होगी और इसका समापन 6 अप्रैल 2025 को रात 7 बजकर 22 मिनट पर होगा. इस साल 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन नवमी मनाई जाएगी, जो विशेष रूप से कन्या पूजन और व्रत के पारण का दिन है.

अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त

कन्या पूजन के लिए मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, इसे सही समय पर करना चाहिए. आइये आपको बताते हैं अष्टमी और नवमी के किस मुहूर्त में कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त की जानकारी देंगे.

1. अष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त:

• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 बजे से 5:21 बजे तक

• प्रात: संध्या: सुबह 4:58 बजे से 6:07 बजे तक

• अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:59 बजे से 12:49 बजे तक

2. नवमी कन्या पूजन मुहूर्त:

• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:34 बजे से 5:20 बजे तक

• प्रात: संध्या: सुबह 4:57 बजे से 6:05 बजे तक

• अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:58 बजे से 12:49 बजे तक

इन मुहूर्तों में कन्या पूजन और व्रत पारण का आयोजन करना शुभ होता है. खासतौर पर अभिजित मुहूर्त को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह समय सबसे उपयुक्त होता है जब पूजा का प्रभाव अधिकतम होता है.

कन्या पूजन विधि (Kanya Pujan 2025 Puja Vidhi)

कन्या पूजन का आयोजन नवरात्रि के अंतिम दिन अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से किया जाता है. इस दिन सुबह जल्दी नाहा कर साफ- सुथरे कपडे पहनने चाहिए. फिर कन्या पूजन की विधि पूरी करनी चाहिए.

1. स्वच्छता: इस दिन सुबह जल्दी उठकर जल्दी नहाये और साफ़ सुथरे कपडे पहनें. साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें.

2. कन्याओं का स्वागत: घर में 9 कन्याओं को आमंत्रित करें, जो 2 से 10 साल तक की हों. उन्हें अच्छे से बैठाने के लिए साफ-सुथरा स्थान तैयार करें.

3. कन्याओं के पैर धोना: पूजा की शुरुआत में कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं.

4. तिलक और पूजा: फिर कन्याओं के सिर पर रोली, कुमकुम और अक्षत से तिलक लगाएं.

5. भोग अर्पित करना: कन्याओं को हलवा, पूरी, चना, नारियल और फल आदि का भोग अर्पित करें। यह भोग देवी दुर्गा को अर्पित करने की तरह कन्याओं को दिया जाता है.

6. उपहार देना और आशीर्वाद लेना: अंत में, कन्याओं को उपहार दें, जैसे कपड़े, खिलौने, पैसे. फिर उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें. आशीर्वाद जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त करने का रास्ता खोलता है.

7. तामसिक चीजों से परहेज: कन्या पूजन के दौरान तामसिक चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जैसे और नशीले पदार्थ। पूजा को शुद्धता और भक्ति के साथ करना चाहिए.

8. आध्यात्मिक शांति: पूजा करते समय शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें. किसी भी तरह की अशांति या अराजकता से बचें,

कन्या पूजन मंत्र

कन्या पूजन के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं. मंत्र कन्याओं की पूजा में शक्ति, ऊर्जा और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

1. "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः।।"

2. "ॐ दुं दुर्गायै नमः।।"

कन्या पूजन का धार्मिक महत्व

कन्या पूजन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह पूजा मां दुर्गा के रूप में कन्याओं के सम्मान और आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में की जाती है. इसे पुण्य और भाग्य के रूप में माना जाता है. कहा जाता है कि कन्या पूजन से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, और मां दुर्गा की कृपा से जीवन में कठिनाई दूर होती है.

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