Sheetala Ashtami 2025 Date: कब है शीतला अष्टमी 22 या 23 मार्च ? जानें तिथि, महत्व और क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग

Sheetala Ashtami 2025 Date: शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) 2025 का व्रत इस साल 22 मार्च को रखा जाएगा. इस लेख में हम शीतला अष्टमी की तिथि, महत्व, पूजा विधि और इस दिन बासी खाने का भोग लगाने के पीछे का कारण विस्तार से जानेंगे.

Update: 2025-03-19 11:59 GMT
कब है शीतला अष्टमी 22 या 23 मार्च ? जानें तिथि, महत्व और क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग
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Sheetala Ashtami 2025 Date: शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) 2025 का व्रत इस साल 22 मार्च को रखा जाएगा. यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर उन लोगों के लिए जो स्वास्थ संबंधी समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं. शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन का भोग माता शीतला को अर्पित किया जाता है. इस लेख में हम शीतला अष्टमी की तिथि, महत्व, पूजा विधि और इस दिन बासी खाने के भोग को क्यों लगाया जाता है, के बारे में विस्तार से जानेंगे.

शीतला अष्टमी 2025 की तिथि

शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) 2025 का व्रत 22 मार्च को होगा। यह दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है. इस दिन मां शीतला की पूजा की जाती है, और उनका प्रिय बासी भोजन अर्पित किया जाता है.

शीतला अष्टमी का महत्व

शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) का महत्व हिंदू धर्म में विशेष है. इस दिन माता शीतला की पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलता है और खासकर चेचक जैसी रोगों से मुक्ति मिलती है. शीतला माता को चेचक की देवी के रूप में पूजा जाता है. उन्हें सफाई की देवी भी माना जाता है, जो गर्मी से उत्पन्न होने वाली बीमारियों और रोगों से रक्षा करती हैं.

इस दिन चूल्हा नहीं जलाने की परंपरा है, ताकि घरों में किसी भी तरह की गर्मी से बचा जा सके और शरीर को ठंडक मिले. पूजा का उद्देश्य ना केवल शीतला माता की आराधना करना है, बल्कि यह भी है कि इस दिन उनके भक्तों को रोगों से मुक्त किया जाए और उनका जीवन सुखमय हो.

शीतला अष्टमी पर बनाएं जाने वाले भोग

शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) के दिन बासी भोजन का भोग शीतला माता को अर्पित किया जाता है. इस दिन भोजन पकाने के लिए चूल्हा नहीं जलाया जाता. इसके बजाय, पूर्व संध्या में सभी भोजन तैयार कर लिए जाते हैं.

मां शीतला को अर्पित किए जाने वाले  भोग :

• मीठे चावल

• बिना नमक की पूड़ी

• पूए और गुलगुले

• पकौड़े

• कढ़ी

• चने की दाल

• हलुवा

• रवड़ी

यह भोग पूरी तरह से ठंडे या बासी होते हैं और इन्हें अगले दिन शीतला माता को अर्पित किया जाता है.

क्यों लगाते हैं बासी खाने का भोग?

शीतलाअष्टमी (Sheetala Ashtami) के दिन बासी भोजन ही क्यों अर्पित किया जाता है, इसके पीछे एक धार्मिक और वैज्ञानिक कारण है.

1. धार्मिक मान्यता: शीतला माता को बासी भोजन बहुत पसंद है. यही कारण है कि इस दिन बासी भोजन ही अर्पित किया जाता है. साथ ही, इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता और घरों में भोजन पहले से तैयार करके रखा जाता है, ताकि किसी प्रकार की गर्मी उत्पन्न न हो.

2. वैज्ञानिक कारण: चैत्र माह के अंत में मौसम में बदलाव होता है, ठंडी से गर्मी की ओर संक्रमण होता है. इस मौसम में शरीर में गर्मी अधिक होती है, जिससे लोग रोगों के शिकार हो सकते हैं. बासी भोजन में ठंडक होती है और यह पाचन तंत्र को भी लाभकारी होता है. यह पेट को ठंडा रखता है और गर्मी के मौसम में शरीर को राहत प्रदान करता है.

इसलिए, शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) के दिन बासी भोजन का भोग अर्पित किया जाता है, ताकि शरीर को ठंडक मिले और गर्मी के प्रभाव से बचाव हो सके.

शीतला अष्टमी 2025 पूजा का समय

• अष्टमी तिथि का आरंभ: 22 मार्च 2025 को प्रातः 4:23 बजे

• अष्टमी तिथि का समापन: 23 मार्च 2025 को प्रातः 5:23 बजे

• पूजा का शुभ समय: प्रातः 6:23 बजे से सायं 6:33 बजे तक (12 घंटे 10 मिनट की अवधि)

शीतला अष्टमी 2025 पूजा विधि

शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) की पूजा विधि बहुत सरल और प्रभावशाली है. इस दिन को सही तरीके से मनाने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि का पालन किया जाता है:

1. ब्रह्म मुहूर्त में जागरण: पूजा से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.

2. भोजन तैयार करें: सप्तमी तिथि (21 मार्च) को सभी भोजन तैयार कर लें, क्योंकि अष्टमी तिथि (22 मार्च) को चूल्हा जलाना निषिद्ध होता है.

3. पूजा स्थल की सफाई: माता शीतला की पूजा करने के लिए एक साफ और शुद्ध स्थान का चयन करें। वहां जल से भरा हुआ कलश रखें और एक दीपक लगाएं.

4. मां शीतला का पूजन: शीतला माता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष रोली, अक्षत, मेहंदी, हल्दी, फूल, वस्त्र आदि अर्पित करें.

5. बासी भोजन का भोग अर्पित करें: इस दिन बासी भोजन का भोग अर्पित करें, जिसमें मीठे चावल, पूड़ी, पुआ, मठरी, बाजरा, कढ़ी, चने की दाल आदि शामिल हों.

6. नीम के पत्तों का महत्व: नीम के पत्तों का विशेष महत्व है। उन्हें माता को अर्पित करें और स्वयं भी उन्हें धारण करें.

7. शीतला माता की कथा: शीतला माता की कथा का पाठ करें और उनकी आरती गाकर पूजा को संपन्न करें.

शीतला अष्टमी से जुड़ी मान्यताएं

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) का विशेष धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि इस दिन मां शीतला की पूजा करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है. माता शीतला को लेकर यह विश्वास है कि वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्त करती हैं.


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