Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 का कलश स्थापना का मुहूर्त कब है, जानिए पूजा विधि और दूर करिये नवरात्रि तिथि को लेकर कन्फ्यूजन

Chaitra Navratri 2025:चैत्र नवरात्रि 2025 का त्योहार कब से है इस बार नवरात्रि कैसी है किससे होगा मां दुर्गा का आगमन, जानिए ...

Update: 2025-03-20 05:32 GMT
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025  का कलश स्थापना का मुहूर्त कब है, जानिए पूजा विधि और दूर करिये नवरात्रि तिथि को लेकर कन्फ्यूजन
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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025: शुभ तिथियां, महत्व और पूजा विधि: इस साल चैत्र नवरात्रि का शुरुआत 30 मार्च (रविवार) से होगा और इसका समापन 6 अप्रैल (शनिवार) को होगा। खास बात है कि पंचमी तिथि के क्षय के कारण इस बार नवरात्रि 9 की बजाय 8 दिन की होगी। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं,जो अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है।चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) में भगवान राम का जन्मोत्सव (राम नवमी) मनाया जाता है। इसी दिन हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) में दुर्गा पूजा और दशहरा मनाया जाता है। इस दौरान विधि-विधान से पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा का हाथी पर  आगमन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आती हैं, तो यह समृद्धि, शांति और अच्छी वर्षा का संकेत देता है। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर ही प्रस्थान भी करेंगी, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त और शुभ योग

इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है, जो इसे और अधिक शुभ बनाता है। साथ ही, इस दिन अति शुभ इंद्र योग भी बन रहा है, जिससे पूजा-पाठ का महत्व बढ़ जाता है।

घटस्थापना का शुभ समय: सुबह 06:13 से 10:22 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:50 बजे तक

घटस्थापना (कलश स्थापना) का नवरात्रि पूजा में विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह मां दुर्गा के आह्वान का प्रतीक माना जाता है।

कलश स्थापना की विधि और नियम

कलश स्थापना के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि पूजा सही तरीके से संपन्न हो और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हो।पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और पवित्र जल से शुद्धिकरण करें।कलश को सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का चुनें, क्योंकि ये सबसे शुभ माने जाते हैं।

कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और मौली (रक्षा सूत्र) लपेटें। इसके ऊपर आम के पत्ते रखें।कलश में जल भरकर उसमें लौंग, इलायची, सुपारी, हल्दी, चावल और सिक्का डालें।एक मिट्टी के पात्र में जौ (सात प्रकार के अनाज) बोएं, जो समृद्धि का प्रतीक होता है।घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ करें।

कलश स्थापना के दौरान क्या न करें?

रात के समय कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए।अमावस्या तिथि में कलश स्थापना अशुभ मानी जाती है।पूजा स्थल को गंदा न रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।नवरात्रि व्रत का महत्व और नियमनवरात्रि के दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मां दुर्गा की आराधना करते हैं। इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी, इसलिए भक्तजन इसी अनुसार व्रत रखेंगे।व्रत के दौरान केवल फलाहार या सात्विक आहार (कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, दूध, फल, साबूदाना आदि) का सेवन किया जाता है।उपवास के दौरान मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।रोजाना दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करना शुभ माना जाता है।

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