Navratri 2024 Maa Durga: आखिर क्यों और कैसे हुआ ''मां दुर्गा का जन्म'', जानिए कहां से मिली इतनी शक्तियां और नवदुर्गा में कैसी...

Navratri 2024 Maa Durga: नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है और ये नौ देवियां शक्ति का ही रूप है। देवी दुर्गा के अंश के रूप में इन देवियों की पूजा होती है, लेकिन मां दुर्गा का जन्म कैसे हुई, अपार शक्ति कहां से आई उन्हें प्रभावी अस्त्र कैसे और किससे मिले? ये सारी बाते शायद आपको पता होगी, अगर आप नहीं जानते है तो आइए जानते है मां दुर्गा के जन्म से लेकर कहां से मिली इतनी शक्तियां और...।

Update: 2024-03-31 10:22 GMT

Navratri 2024 Maa Durga: नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है और ये नौ देवियां शक्ति का ही रूप है। देवी दुर्गा के अंश के रूप में इन देवियों की पूजा होती है, लेकिन मां दुर्गा का जन्म कैसे हुई, अपार शक्ति कहां से आई उन्हें प्रभावी अस्त्र कैसे और किससे मिले? ये सारी बाते शायद आपको पता होगी, अगर आप नहीं जानते है तो आइए जानते है मां दुर्गा के जन्म से लेकर कहां से मिली इतनी शक्तियां और...।

कैसे हुआ मां दुर्गा का जन्म

देवी का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में ही माना जाता है जिसे राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए जन्म दिया गया था और यही कारण है कि उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं को भगा कर महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था तब सभी देवता मिलकर त्रिमूर्ती के पास गए थे। ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाली। इसीलिए दुर्गा को शक्ति भी कहा जाता है। दुर्गा की छवि बेहद सौम्य और आकर्षक थी और उनके कई हाथ थे। क्योंकि सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें शक्ति दी इसलिए वो सबसे ताकतवर भगवान मानी जाती हैं। उन्हें शिव का त्रिशूल मिला, विष्णु का चक्र, बह्मा का कमल, वायु देव से उन्हें नाक मिली, हिमावंत (पर्वतों के देवता) से कपड़े, धनुष और शेर मिला और ऐसे एक-एक कर शक्तियों से वो दुर्गा बनी और युद्ध के लिए तैयार हुईं।

आखिर पूजा 9 दिन ही क्यों की जाती है

जब दुर्गा या देवी ने महिषासुर पर हमला किया और एक-एक कर दैत्यों को मारना शुरू किया तब भैंसे का रूप धारण करने वाले महिषासुर को मारने के लिए उन्हें 9 दिन लगे। इसलिए नवरात्रि को 9 दिन मनाया जाता है। इससे जुड़ी अन्य कथाएं भी हैं जैसे नवरात्रि को दुर्गा के 9 रूपों से जोड़कर देखा जाता है और कहते हैं कि हर दिन युद्ध में देवी ने अलग रूप लिया था और इसलिए 9 दिन 9 अलग-अलग देवियों की पूजा की जाती है। हर दिन को अलग रंग से जोड़कर भी देखा जाता है।

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अगले जन्म में सती ने नव दुर्गा का रूप धारण कर जन्म लिया। जब देव और दानव युद्ध में देवतागण परास्त हो गये तो उन्होंने आदि शक्ति का आवाहन किया और एक एक करके उपरोक्त नौ दुर्गाओं ने युद्ध भूमि में उतरकर अपनी रणनीति से धरती और स्वर्ग लोक में छाए हुए दानवों का संहार किया।

मां दुर्गा ने दानवों का संहार किया

इनकी इस अपार शक्तिको स्थायी रूप देने के लिए देवताओं ने धरती पर चैत्र और आश्विन मास में नवरात्रों में इन्हीं देवियों की पूजा-अर्चना करने का प्रावधान किया। वैदिक युग की यही परम्परा आज भी बरकरार है। साल में रबी और खरीफ की फसलें कट जाने के बाद अन्न का पहला भोग नवरात्रों में इन्हीं देवियों के नाम से अर्पित किया जाता है। आदि शक्ति दुर्गा के इन नौ स्वरूपों को प्रतिपदा से लेकर नवमी तक देवी के मण्डपों में क्रमवार पूजा जाता है। दुर्गा कथा इस ब्रह्मांड की शक्ति देवी दुर्गा हैं, जिन्होंने समय-समय पर विभिन्न रूप धरकर प्रकृति और सृष्टि के संरक्षण का कार्यभार संभाला। जब किसी दैत्य के सामने देवताओं के युद्ध कौशल कम पड़ गए तो स्वयं मां आदिशक्ति भवानी ने अपने पुत्रों का रक्षण किया

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