Ekadashi Fast Rules : क्या आपको पता है "एकादशी व्रत" कितने प्रकार से रखने का है विधान, आइए जानें कब और क्या करें सेवन

एकादशी व्रत को अलग-अलग तरीके से करते आपने देखा होगा, कुछ लोग सिर्फ जल ग्रहण करते हैं तो कुछ लोग व्रत के दिन सिर्फ फल. आज आपको बताते हैं कि एकादशी व्रत कितने प्रकार से रखने का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

Update: 2024-05-31 11:14 GMT

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी बनी रहती है। हर माह में 2 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी आती हैं।

एकादशी व्रत को अलग-अलग तरीके से करते आपने देखा होगा, कुछ लोग सिर्फ जल ग्रहण करते हैं तो कुछ लोग व्रत के दिन सिर्फ फल, आज आपको बताते हैं कि एकादशी व्रत कितने प्रकार से रखने का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

हर व्यक्ति की शक्ति और श्रद्धा अलग-अलग होती है। इसलिए धर्म शास्त्रों में भक्तों को उन्हीं की शक्ति और श्रद्धा के अनुसार व्रत रखने का संदेश धर्म शास्त्रों में दिया गया है। इसी के साथ जानते हैं कितने प्रकार से भगवान विष्णु का प्रिय एकादशी व्रत रख सकते हैं और किस प्रकार से एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए।


एकादशी व्रत के नियम



साल भर में 24 एकादशी आती हैं। पद्म पुराण में एकादशी के व्रत के बारे में काफी वर्णन किया गया है। पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति साल की 24 एकादशी का व्रत रखता है और वह भोग और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से परम पद को पाता है। पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत के नियम के अनुसार, एकादशी से एक दिन पहले व्यक्ति को एक समय का भोजन त्यागना होता है। एकादशी के दिन शाम के समय फलहार किया जाता है। अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त होता है। एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही दरिद्रता भी समाप्त हो जाती है।


एकादशी व्रत कितने प्रकार का होता है


एकादशी व्रत जलाहर : जलाहर का अर्थ है कि केवल जल ग्रहण करते हुए एकादशी व्रत करना। अधिकांश भक्तगण निर्जला एकादशी पर इस व्रत का पालन करते हैं। हालांकि जो भक्त सामर्थ्यवान है वो सभी एकादशियों के व्रत में इस नियम का पालन कर सकते हैं।

एकादशी व्रत क्षीरभोजी : क्षीरभोजी एकादशी व्रत का अर्थ है क्षीर यानी दूध का aurसेवन करते हुए एकादशी का व्रत रखना। जब क्षीरभोजी एकादशी का संकल्प लेते हैं तो उसमें दूध निर्मित सभी उत्पाद का व्रत के दिन सेवन कर सकते हैं।

फलाहारी एकादशी व्रत : फलाहारी एकादशी व्रत, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस व्रत में केवल फल का सेवन करते हुए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में आम, अंगूर, केला, बादाम और पिस्ता आदि फल को ही ग्रहण करने चाहिए। इसमें पत्तेदार शाक-सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।

नक्तभोजी एकादशी व्रत : नक्तभोजी एकादशी व्रत का अर्थ है कि सूर्यास्त से ठीक पहले दिन में एक समय फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। हालांकि इस एकल आहार में सेम, गेहूं, चावल और दालों सहित ऐसे किसी भी प्रकार का अन्न और अनाज को शामिल नहीं करना चाहिए, जिसे एकादशी उपवास में निषिद्ध माना गया है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत के समय नक्तभोजी के मुख्य आहार में साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, आलू और मूंगफली आदि का सेवन कर सकते हैं।


कुट्टू का आटा खाते हैं पर बचें


एकादशी व्रत में कई लोग कुट्टू का आटा और सामक चावल भी एकादशी एकल भोज में ग्रहण करते हैं। लेकिन एकादशी भोजन के रूप में दोनों वस्तुओं पर विद्वान बंटे हुए हैं, क्योंकि इन्हें अर्ध-अन्न अथवा छद्म अन्न माना जाता है। इसलिए व्रत के समय इन वस्तुओं का प्रयोग न करना ही अच्छा है।


साल 2024 की आने वाली एकादशी व्रत लिस्ट


  • अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण) वैष्णव २-3 जून 2024
  • निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल) 18 जून 2024
  • योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण) 2 जुलाई 2024
  • हरिशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल) 17 जुलाई 2023
  • कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण) 31 जुलाई 2023
  • पवित्रा एकादशी (श्रावण शुक्ल) 16 अगस्त 2023
  • अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण) 29 अगस्त 2024
  • पद्मा एकादशी (भाद्रपद शुक्ल) 14 सितंबर 2024
  • इंदिरा एकादशी (अश्विन कृष्ण) 28 सितंबर 2024
  • पापाकुंश (अश्विन कृष्ण) 14 अक्टूबर 2024
  • रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण) 28 अक्टूबर 2024
  • हरिप्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल) 12 नवंबर मंगलवार 2024
  • उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
  • मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल) 11 दिसंबर 2024
  • सफला एकादशी (पौष कृष्ण) 26 दिसंबर 2024
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