छत्तीसगढ़ के राम वनगमन पथ की अहम कड़ी है कौशल्या माता मंदिर, सरकार ने कराया मंदिर का कायाकल्प...

Update: 2023-06-26 08:50 GMT

रायपुर 26 जून 2023 । 126 तालाबों के लिए मशहूर रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में जलसेन तालाब के बीच में माता कौशल्या का मंदिर है, जो दुनिया में भगवान राम की मां का इकलौता मंदिर है। माता कौशल्या के जन्म स्थल के कारण ही छत्तीसगढ़ को रामलला का ननिहाल कहा जाता है। राम का इस स्थान से अमिट नाता रहा है और कहा जाता है कि उनके बचपन का एक बड़ा हिस्सा यहां बीता है। भूपेश बघेल की सरकार की कोशिशों से अब इस मंदिर का कायाकल्प हो चुका है और ये धार्मिक, ऐतिहासिक धरोहर के साथ मनोरम दर्शनीय स्थल में तब्दील हो चुका है।

दरअसल माता कौशल्या का मायका कौसल प्रदेश यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ में ही था और चंद्रखुरी उनका जन्म स्थल। इसलिए माता कौशल्या को समर्पित यह मंदिर, क्षेत्र के उनके प्रति प्रेम का द्योतक है जहां आप बालक श्रीराम को उनकी गोद में देखने का सुख भी भोग सकते हैं। क्योंकि स्वाभाविक है कि श्री राम के लिए यह उनका ननिहाल है। फिर ननिहाल में नौनिहाल का आगमन न हो, दुलार न हो, ये भला संभव है! छत्तीसगढ़ वासियों के लिए ये कितने गर्व की बात है कि प्रभु श्री राम की माता इस पावन भूमि की पुत्री थीं।


ऐसा है कौशल्या मंदिर

रायपुर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंद्रखुरी भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मस्थली है। चंद्रखुरी गांव में जलसेन तालाब के बीच माता कौशल्या का एक बेहद ही पुराना व एकमात्र मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान राम अपनी मां कौशल्या की गोद मे विराजित हैं। करीब 15 करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार करवाया गया है। यहां भगवान राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई गई है। जलसेन तालाब 16 एकड में स्थित है। जनश्रुति है कि इसके आस-पास कोई 126 तालाब थे। अभी 25 तालाब ही शेष बचे हैं। तो क्षेत्र के इसी सबसे बड़े और लबालब भरे जलसेन तालाब में कमल पुष्पों के बीच एक सुंदर पुल बनाया गया है जिसे हनुमान पुल कहा जाता है। इस पुल के ऊपर राम भक्त हनुमान की प्रतिमा भी है। पुल को पार कर आप कौशल्या माता मंदिर पहुंचते हैं।


8 वीं शताब्दी में बना मंदिर

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में सोमवंशी राजाओं द्वारा करवाया गया था। कहा जाता है कि एक रात माता कौशल्या यहां के शासक के स्वप्न में आईं और उन्हें अपने स्थान के बारे में संकेत दिया। राजा ने उक्त स्थल की खुदाई करवाई। और वाकई में उस स्थल की खुदाई से माता कौशल्या की मूर्ति प्राप्त हुई। राजा ने एक भव्य मंदिर का निर्माण करवा कर विधिवत वहां मूर्ति की स्थापना की। मंदिर समय के साथ क्षतिग्रस्त भी हुआ और कई बार इसे संभाला भी गया। 1973 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।

रामवनगमन पथ प्रोजेक्ट ने बदल दी तस्वीर

छत्तीसगढ़ सरकार ने 2019 में भगवान श्रीराम के जीवन की झलकियों को दर्शाने के लिए रामवनगमन पथ प्रोजेक्ट लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट के तहत कौशल्या माता मंदिर का भी सौंदर्यीकरण किया गया। सौंदर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत् रखा गया है और मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसे भव्य रूप दिया गया है। और अब यह बहुत ही सुंदर धार्मिक और दर्शनीय स्थल में तब्दील हो गया है। जिसे देखने के लिए लोग बड़े चाव से कौशल्या माता मंदिर जाते हैं।कहा तो यह भी जाता है कि पहले इस मंदिर में महिलाओं को जाने से रोका जाता था कि कहीं वे माता कौशल्या की गोद में विराजित प्रभु श्री राम के मनोहर बाल रूप को नज़र न लगा दें। लेकिन अब ऐसा कोई बंधन नहीं है। आप कौसल पुत्री, राम जननी, कौशल्या माता मंदिर के दर्शन का आनंद जब चाहे ले सकते हैं।

रामायण में कौशल्या का किरदार

रामायण में कौशल्या एक ऐसी स्त्री हैं जो स्वभाव से मृदु, मधुर, मातृत्वभाव, धैर्यवान व कर्तव्यनिष्ठ थी। उन्हें भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम की माता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। आरम्भ से ही कौशल्या जी धार्मिक थीं। वे निरन्तर भगवान की पूजा करती थीं, अनेक व्रत रखती थीं और नित्य ब्राह्मणों को दान देती थीं। माता कौशल्या ने कभी भी राम तथा भरत में भेद नहीं किया। पुराणों में कश्यप और अदिति के दशरथ और कौशल्या के रूप में अवतार भी माना गया।

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