Chhath Puja 2024 Date: 5 नवंबर से छठ पर्व शुरू, जाने नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक की सही डेट

Chhath Puja 2024 Date:

Update: 2024-11-04 11:19 GMT
Chhath Puja 2024 Date: 5 नवंबर से छठ पर्व शुरू, जाने नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक की सही डेट
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Chhath Puja 2024 Date: दिवाली के बाद से ही छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है. सूर्य उपासना के महापर्व छठ की तैयारियां जोरों पर हैं.  बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और देश के कई अन्य हिस्सों में दीपावली के बाद लोक आस्था के महापर्व छठ मनाया जाता है. छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. 

4 दिन का होता है छठ महापर्व

चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है. 4 दिन के इस कठिन व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है. फिर खरना और उषा अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होता है. महिलाएं छठ महापर्व में 36 घंटे के निर्जला व्रत रखती है. इसके बाद उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है.

मान्यता है छठ महापर्व में भगवान सूर्य और उनकी बहन मां उषा और प्रकृति की पूजा-अर्चना की जाती है. छठ पर्व पर भगवान सूर्य के साथ षष्ठी मैया की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को दोनों का आशीर्वाद मिलता है. यह पर्व विशेष रूप से स्वास्थ्य, धन, और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है. 

कब है छठ पूजा 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 05 नवंबर 2024 यानी नहाय खाय से हो रही है. बुधवार 6 नवंबर यानी पंचमी को खरना मनाया जाएगा. षष्ठी 7 नवम्बर को संध्या अर्घ्य है. वही सप्तमी तिथि 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होगा. 

नहाय खाय - मंगलवार 5 नवंबर 2024

खरना - बुधवार 6 नवंबर 2024

संध्या अर्घ्य - गुरुवार 7 नवंबर 2024

उषा अर्घ्य - शुक्रवार 8 नवंबर

किस दिन क्या करें 

नहाय खाय: महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय के दिन से ही होती है. इस बार मंगलवार 5 नवंबर 2024 को नहाय खाय है. इस दिन से महिलाएं प्याज-लहसुन का त्याग करती है. सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण कर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं. उसके बाद कद्दू और चना दाल की सब्‍जी खाती है.

खरना: छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. खरना बुधवार 6 नवंबर को मनाया जाएगा. शास्त्रों में खरना का मतलब शुद्धिकरण बताया गया है. इस महिलाएं दिन सुबह से लेकर शाम तक निर्जला व्रत रखती हैं शाम के समय पारण करती हैं. खरना के दिन व्रत कर रही महिलाएं सबसे पहले नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर बनाती हैं. इसके बाद इस खीर का भोग छठी मैया को लगाया जाता है. खरना के दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.

संध्या अर्घ्य: संध्या अर्घ्य छठ पूजा का तीसरा दिन होता है. इसे पहला अर्घ्य भी कहते हैं. गुरुवार 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य है. इस दिन छठ पूजा का विधि विधान से प्रसाद बनाया जाता है. संध्या अर्घ्य के दिन व्रती घाट पर जाती हैं. डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

उषा अर्घ्य: शुक्रवार 8 नवंबर उषा अर्घ्य है. उषा अर्घ्य छठ महापर्व का चौथा और आखरी दिन होता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इससे ही व्रत का पारण और समापन होता है. व्रती दूध का शरबत पीकर और प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करते है.




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