Bilaspur Vandevi Mandir: पत्थर वाली देवी: छत्तीसगढ़ के वनदेवी मंदिर में माता को अर्पित किए जाते हैं पत्थर...

Update: 2023-10-21 06:24 GMT

Bilaspur Vandevi Mandir: बिलासपुर। कहते हैं आस्था, श्रृद्धा और विश्वास हो तो इंसान पत्थर में भी भगवान खोज लेता है। लेकिन मान्यता ऐसी हो कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए पत्थर चढ़ाए जाते हों, तो सुनकर आप आश्चर्य में पड़ सकते हैं। लेकिन ये बिल्कुल सच है कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के खमतराई में स्वयंभू माँ वनदेवी या बगदाई या पत्थर वाली माता ऐसी माता हैं जिनको प्रसन्न करने के लिए, उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूर-दूर से आने वाले भक्त उन्हें पत्थर अर्पित करते हैं। भक्तों का भरोसा है कि माँ वनदेवी के समक्ष जो भी भक्त नवरात्रि के दौरान मनोकामना रख विषम संख्या में (पांच, सात, नौ) पत्थर अर्पित करता है, अगली नवरात्रि से पूर्व उसकी मनोकामना अवश्य पूरी हो जाती है। वनदेवी माता भक्त से पत्थर के अलावा अन्य किसी चढ़ावे या प्रसाद की इच्छा नहीं रखतीं।

एक सदी से अधिक पुराना है वनदेवी माता का मंदिर

रायपुर से सड़क मार्ग से करीब दो से सवा दो घंटे की यात्रा कर आप बिलासपुर जिले के गांव खमतराई पहुंच कर अनोखे माँ वनदेवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर कब बना, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन माना जाता है कि यह सौ साल से भी अधिक पुराना है। जन आस्था को देखते हुए आज यहां सुंदर मंदिर स्थापित किया गया है लेकिन पहले जब स्वयंभू माँ वनदेवी प्रकट हुई थीं तब के बारे में कहा जाता है कि जंगली मार्ग से आते-जाते कुछ लोगों ने स्वप्रेरणा से रास्ते से गुजरने के दौरान मिलने वाले पत्थर, जिन्हें गोटा पत्थर कह कर पुकारा जाता है, देवी के समक्ष अर्पित किए। जंगली जानवरों से बचते हुए अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंचने पर उन्होनें अपना अनुभव अन्य लोगों को बताया और इस तरह देवी मां को पत्थर अर्पित करने की परंपरा चल निकली।

स्वप्न आने पर जमींदार ने बनवाया था छोटा सा मंदिर, आज है नए रूप में

कहते हैं कि वनदेवी माता एक जमींदार के स्वप्न में आईं थीं। तब जमींदार ने यहां छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया जिसमें वनदेवी माता अपने मूल स्वरूप में एक पेड़ के नीचे विराजित हैं। लेकिन समय के साथ दूर-दराज के लोगों तक मां वनदेवी की ख्याति पहुंची और हजारों की संख्या में भक्तगण यहां आने लगे। तब से लेकर अब तक मंदिर के स्वरूप में बहुत बदलाव आ गया है।

बाबा भैरवनाथ, राम दरबार और शनिदेव के भी होंगे दर्शन

अब मंदिर में वनदेवी माता तो अपने मूल स्वरूप में विराजित हैं हीं,साथ ही साथ प्रांगण में शनिदेव के भी दर्शन होते हैं। साथ ही एक कक्ष में कई शिवलिंग भी स्थापित किए गए हैं जिनका स्वरूप मन मोह लेता है। काले और सफेद रंग के ये शिवलिंग भोलेनाथ के भक्तों का मन प्रसन्न कर देते हैं। अन्य कक्ष में प्रभु राम दरबार के भी दर्शन अवश्य करें। यहां की मूर्तियां अति सुंदर है। माहौल मन को आनंदित करने वाला है।

पानी में तैरते हैं पत्थर, हैरान हो जाते हैं भक्त

मां वनदेवी मंदिर के सामने एक छोटी सी टंकी बनी हुई है। इसमें झांकने पर स्पष्ट रूप से ऐसे पत्थर दिखाई देते हैं जो पानी में डूबते नहीं, बल्कि तैरते रहते हैं। बच्चे और अन्य जिज्ञासु इन्हें छुएं और छेड़ें नहीं, इसलिए इस टंकी पर जालीदार चादर डाल दी गई है। लेकिन ऊपर से देखने पर आप पानी पर तैरते हुए पत्थर आसानी से देख सकते हैं।

अगर आप भी माता वनदेवी के दर्शन करना चाहते हैं तो पूर्ण आस्था के साथ माता को अर्पित करने के लिए गांव से गोटा पत्थर अवश्य लेते जाएं। माता को फल, मिठाई या अन्य तरह के चढ़ावे की यहां परंपरा ही नहीं है।

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