Bakrid Kab Hai 2023 Mein: कब मनाई जाएगी बकरीद, जानिए कब और क्यों हुई थी इसकी शुरूआत...

Update: 2023-06-24 11:54 GMT

Bakrid Kab Hai 2023 Mein: बकरीद कब मनाई जाती है: इस्लाम में ईद की तरह ही बकरीद बहुत खास होता है। अस धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन खास चीजों की कुर्बानी देने की परंपरा है। रमजान के 70 दिनों के बाद जो ईद आती हैं वह बकरीद या ईद-उल जुहा या ईद-उल-अजहा के नाम से जानी जाती हैं। यह इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को मनाई जाती हैं। इस दिन नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस साल 28 या 29 जून को बकरीद की कुर्बानी दी जायेगी। बकरीद की तारीख चांद के दिखने पर निर्धारित होती है। 19 जून 2023 को भारत के कुछ हिस्सों में चांद का दीदार हुआ है। चांद के दीदार होने के दसवें दिन बकरीद मनाई जाती है, लिहाजा इस साल यह त्योहार 29 जून 2023 को मनाया जाएगा।

बकरीद की शुरुआत कब और क्यों हुई।

कहानीः कहते है कि इस्लाम में पैगंबर हजरत इब्राहिम से एक बार अल्‍लाह ने सपने में आकर अपनी सबसे प्‍यारी चीज़ कुर्बान देने को कहा। उन्हें 80 साल की उम्र में औलाद का सुख नसीब हुआ था। उनके लिए उनका बेटा ही उनकी सबसे प्‍यारी चीज़ था। इब्राहिम ने दिल पक्‍का कर अपने बेटे की बलि देने का निर्णय किया। इब्राहिम को लगा कि वह अपने बेटे के प्रेम के कारण उसकी बलि नहीं दे पाएंगे तो उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। जब इब्राहिम ने अपने बेटे ईस्‍माइल की गर्दन काटने के लिए चलाया तो अल्‍लाह की मर्जी से ईस्‍माइल की जगह एक जानवर को रख दिया गया। इब्राहिम ने जब अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उसे अपने बेटे को जीवित देखा,तो उसे खुशी हुई।

अल्‍लाह को हजरत इब्राहिम का यह प्रेम इतना पसंद आया कि उन्‍होंने इस दिन कुर्बानी देना वाजिब कर दिया। इस बात से ये संदेश मिलता है कि एक सच्चे मुस्लिम के अपने धर्म के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करना चाहिए। इस्लाम में गरीबों का खास ध्यान रखने की परंपरा है। इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से लगाए जाते हैं। इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं।

इस्लाम में कुर्बानी का असली मतलब यहां ऐसे बलिदान से है जो दूसरों के लिए दिया जा हैं। परन्तु इस त्योहार के दिन जानवरों की कुर्बानी महज एक प्रतीक है। असल कुर्बानी हर एक मुस्लिम को अल्लाह के लिए जीवन भर करनी होती है।

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