अंग्रेजी नहीं अब देसी... देशभर के ज्योतिषी, खगोलविद और विद्वान जुटेंगे उज्जैन में, बनेगा नेशनल कैलेंडर

पूरे देश में व्रत-त्योहार की तिथि होगी एक समान, 1952 के बाद फिर पहल।

Update: 2022-04-07 12:43 GMT

NPG डेस्क, 07 अप्रैल 2022। भारत देश का अपना नेशनल कैलेंडर होगा, जो अंग्रेजी कैलेंडर के बजाय ज्योतिष की गणना पर आधारित होगा। इसके लिए पूरे देश के ज्योतिषी, खगोलविद, पंचांग बनाने वाले विद्वान 22-23 अप्रैल को उज्जैन में जुटेंगे। अक्सर देश में अलग-अलग व्रत और त्यौहार की तिथि के कारण एक समानता नहीं होती। नेशनल कैलेंडर बनने से तारीखों को लेकर होने वाली समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। नेशनल कैलेंडर बनाने के लिए उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय देशभर के विद्वानों की राष्ट्रीय संगोष्ठी और पंचांगों की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. जानकारी के मुताबिक यह कार्यक्रम 22-23 को अप्रैल को आयोजित होगा. केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांव के उपल्क्ष में यह पहल किया है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, केंद्रीय विज्ञान प्रोद्योगिकी विभाग, विज्ञान प्रसार, भारतीय तारा भौतिकी संस्थान, खगोल विज्ञान केंद्र, विज्ञान भारती, धारा, मध्य प्रदेश विज्ञान-प्रोद्योगिकी परिषद, विक्रम विश्वविद्यालय और पाणिनी संस्कृत यूनिवर्सिटी शामिल होंगे। इससे पहले 1952 में देश में यूनिफार्म कैलेंडर के लिए कैलेंडर रिफॉर्म कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की अनुशंसा पर 1956 में नेशनल कैलेंडर बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया। अब केंद्र सरकार ने फिर एक बार इसकी पहल की है।

उज्जैन का इसलिए किया गया है चुनाव

उज्जैन कालगणना का प्राचीन केंद्र रहा है। यहां की कालगणना को ही विश्व में मान्यता मिली थी। इतना ही नहीं उज्जैन कर्क रेखा पर स्थित है। इस वजह से यहां की गणना सबसे सटीक मानी जाती है। बताया जाता है कि अब पंचांगों के तथ्यों पर मंथन करने के बाद अब नेशनल कैलेंडर बनाया जाएगा। इसके लिए उज्जैन में संगोष्ठी का आयोजन होगा। इसमें राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्थाओं के 100 प्रतिनिधि तथा 200 ज्योतिष, पंचांगकर्ता और खगोल विज्ञान से जुड़े लोग शामिल होंगे।

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