Chhattisgarh Me Mitti Ke Prakar: छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं ये पांच प्रकार के मिट्टियां, अभी देखें पूरा डिटेल, प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी उपयोगी

Chhattisgarh Me Mitti Ke Prakar: छत्तीसगढ़ अपने प्राकृतिक वातावरण, खेत खलिहान और विभिन्न प्रकार के फसलों के लिए जाना जाता है। यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग टाइप की मिट्टी पाई जाती है, आइए जानते हैं.

Update: 2025-10-06 08:10 GMT

Chhattisgarh Me Mitti Ke Prakar: छत्तीसगढ़ अपने प्राकृतिक वातावरण, खेत खलिहान और विभिन्न प्रकार के फसलों के लिए जाना जाता है। धान की विभिन्न फसले होने की वजह से छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहते हैं, छत्तीसगढ़ को यह उपलब्धि प्राप्त होने में यहाँ की जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज हम इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों में मिट्टी के बारे में बात करेंगे जो छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से पांच प्रकार की पाई जाती हैं–लाल-पीली मिट्टी, लाल बलुई मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी, काली मिट्टी और लेटेराइट मिट्टी। ये सभी मिट्टियाँ अपनी संरचना, रंग, बनावट और उर्वरता के आधार पर अलग-अलग फसलों के लिए उपयुक्त हैं।

लाल-पीली मिट्टी

छत्तीसगढ़ के अधिकांश मैदानी और पठारी क्षेत्रों में लाल-पीली मिट्टी फैली हुई है। जिसे स्थानीय लोग मटासी कहते हैं। इस मिट्टी का लाल-पीला रंग इसमें मौजूद लौह ऑक्साइड की वजह से होता है। यह मिट्टी हल्की और मध्यम जलधारण क्षमता वाली होती है, जो इसे धान, ज्वार, बाजरा, दालें और तिलहन जैसी फसलों के लिए उपयुक्त बनाती है। इसकी बनावट में रेत और चिकनी मिट्टी का संतुलन होता है, जिसके कारण यह न तो बहुत भारी होती है और न ही बहुत हल्की। हालांकि, इस मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए किसानों को जैविक खाद और उचित सिंचाई की आवश्यकता होती है। मटासी मिट्टी छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान है, क्योंकि यह विभिन्न मौसमों में विविध फसलों को उगाने की क्षमता रखती है। पूर्वी बघेलखंड और दंडकारण्य के पठार में यह मिट्टी पाई जाती है।


लाल बलुई मिट्टी

लाल बलुई मिट्टी छत्तीसगढ़ के लगभग एक-तिहाई हिस्से में पाई जाती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ वर्षा कम होती है।जिसे स्थानीय भाषा में टिकरा मिट्टी के नाम से जाना जाता है। इस मिट्टी में रेत की मात्रा अधिक होने के कारण यह जल को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाती। इसकी अम्लीय प्रकृति और पोषक तत्वों की कमी इसे खेती के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण बनाती है। फिर भी यह मिट्टी मोटे अनाज जैसे मक्का, अरहर और तिल जैसी फसलों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इस मिट्टी में खेती करने वाले किसानों को नियमित रूप से गोबर की खाद और जैविक उर्वरकों का उपयोग करना पड़ता है ताकि इसकी उर्वरता बनी रहे। छत्तीसगढ़ के सूखे इलाकों में यह मिट्टी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। दंतेवाड़ा, बस्तर और कांकेर क्षेत्र में यह मिट्टी पाई जाती है।


लाल दोमट मिट्टी

लाल दोमट मिट्टी, जिसे स्थानीय भाषा में परिया मिट्टी के नाम से जाना जाता है, छत्तीसगढ़ की सबसे बहुमुखी मिट्टियों में से एक है। इस मिट्टी में रेत, सिल्ट और चिकनी मिट्टी का संतुलित मिश्रण होता है। इसकी जलधारण क्षमता सबसे कम होती है, यह मोटे अनाजों के लिए आदर्श मानी जाती है। परिया मिट्टी की उर्वरता सबसे कम होती है,जो इसे अनउपजाऊ बनाती है। दंतेवाड़ा और सुकमा क्षेत्र में यह मिट्टी पाई जाती है।



काली मिट्टी

काली मिट्टी,छत्तीसगढ़ की सबसे उपजाऊ मिट्टियों में से एक है। जिसे स्थानीय स्तर पर कन्हार मिट्टी कहा जाता है। इसकी जलधारण क्षमता सबसे अधिक होती है। इसकी क्षारीय प्रकृति इसे और उपजाऊ बनती है। यह मिट्टी गहरी, चिपचिपी और नमी धारण करने में अत्यधिक सक्षम होती है। इसका निर्माण बेसाल्टिक चट्टानों के टूटने से हुआ है, जिसके कारण इसमें चूना, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मिट्टी रबी फसलों जैसे गेहूं, चना, कपास और तिलहन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होती है। कन्हार मिट्टी की एक खास विशेषता यह है कि सूखने पर यह फट जाती है, लेकिन नमी मिलते ही यह अपनी कोमलता वापस पा लेती है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर क्षेत्र में यह मिट्टी पाई जाती है।


लेटेराइट मिट्टी

यह मिट्टी छत्तीसगढ़ के ऊँचे और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे बिलासपुर और बस्तर में पाई जाती है। जिसे स्थानीय रूप से भाटा मिट्टी कहा जाता है। इसका लाल-भूरा रंग और इसमें मौजूद लौह व एल्युमिनियम ऑक्साइड इसे विशिष्ट बनाते हैं। यह मिट्टी पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम में अपेक्षाकृत कमजोर होती है, जिसके कारण यह प्राकृतिक रूप से कम उपजाऊ मानी जाती है। भाटा मिट्टी की बनावट इसे उन फसलों के लिए उपयुक्त बनाती है जो अधिक वर्षा और पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं जैसे चाय और बागवानी फसलें। जशपुर सामरी पाट और सीमांत उच्च भूमि में इस मिट्टी की प्रधानता है।



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