April Fools Day 2023: जानिए 32 मार्च का क्या संबंध है 'अप्रैल फूल डे' से... पढ़िए कैसे बने अमिताभ और श्रीदेवी अप्रैल फूल

April Fools Day 2023: बताते हैं कि एक राजा-रानी का प्रैंक अप्रैल फूल डे की शुरुआत की वजह बना। 1381 राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने घोषणा करवाई कि वो दोनों 32 मार्च 1381 को सगाई करने वाले हैं। सगाई की खबर सुनकर जनता खुशी से झूम उठी। लोग उत्साह से नाचने लगे, उत्सव का माहौल बन गया। लेकिन 31 मार्च 1381 के दिन लोगों के समझ आया कि 32 मार्च तो आता ही नहीं है।

Update: 2023-04-01 05:22 GMT

April Fool's Day 2023: हममे से हर एक ने कभी न कभी किसी न किसी को अप्रैल फूल बनाया होगा। न भी बनाया हो तो बने तो ज़रूर होंगे। कभी टाॅफी के रैपर में पत्थर को करीने से पैक कर आपको मूर्ख बनाया गया होगा तो कभी हांफते हुए आपका दोस्त आया होगा कि तेरी मम्मी बहुत गुस्सा हैं, तुझे ढूंढ रही हैं और आप घबराकर घर की ओर भागे होंगे और सब आप पर हंस पड़े होंगे 'अप्रैल फूल' बनाया, कहकर। ऐसे न जाने कितने ही मज़ाक आपके साथ बचपन में हुए होंगे, आज भी होते होंगे। आज भी आप के मन में 1 अप्रैल को कोई नई सी बात सुनकर संदेह होता होगा कि कहीं कोई मूर्ख तो नहीं बना रहा? एक अप्रैल को मूर्ख बनाने की यह परंपरा या मज़ाक कैसे शुरू हुआ ये आपने सोचा है? इसके बारे में कई किस्से फेमस हैं। वे सच हैं या नहीं,इसका तो प्रमाण नहीं है, लेकिन हैं मज़ेदार। आइए खास किस्से जानते हैं।

राजा-रानी का प्रैंक-32 मार्च को होगी सगाई

बताते हैं कि एक राजा-रानी का प्रैंक अप्रैल फूल डे की शुरुआत की वजह बना। 1381 राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने घोषणा करवाई कि वो दोनों 32 मार्च 1381 को सगाई करने वाले हैं। सगाई की खबर सुनकर जनता खुशी से झूम उठी। लोग उत्साह से नाचने लगे, उत्सव का माहौल बन गया। लेकिन 31 मार्च 1381 के दिन लोगों के समझ आया कि 32 मार्च तो आता ही नहीं है। लोगों हैरान रह गए कि उनके साथ इतनी सफाई से मज़ाक किया गया है।उन्हें मूर्ख बनाया गया है। तभी से 32 मार्च, यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और लोग दूसरों को हैरान कर लेने वाले तरीके ढूंढकर 'अप्रैल फूल्स डे' मनाने लगे।

कैलेंडर बदल गया, लोग नहीं बदले, बने 'फूल'

यूरोपीय देशों में पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था। उसका नववर्ष मार्च के अंत या 1 अप्रैल से शुरू होता था। यह भी कहा जाता है कि मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हुआ जश्न अप्रैल के पहले दिन समाप्त होता था। 1582 में जब पोप ग्रेगरी 13 ने नया 'ग्रेगोरियन कैलेंडर' अपनाने के आदेश दिए तो नया साल 1 जनवरी से मनाया जाने लगा। बताया जाता है कि जिन लोगों को कैलेंडर बदलने की जानकारी देरी से पहुंची, वे मार्च के आखिरी हफ्ते से 1 अप्रैल तक नववर्ष मनाते रहे। वहीं कुछ लोग पुराने कैलेंडर को न छोड़ने की ज़िद पर भी अड़े रहे। ऐसे सभी लोगों पर खूब जोक बने और 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में माना जाने लगा।

मूर्खतापूर्ण काम करने की छुट्टी का सैलिब्रेशन

बताया जाता है कि 1539 में फ्लेमिश कवि 'डे डेने' ने अपने लेख में एक अमीर आदमी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उस रईस ने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए छुट्टी दी थी। ऐसे में इस दिन को मूर्खता भरे कार्यों के लिए तय मानने का चलन चल पड़ा।

.... और बाॅलीवुड के कुछ ज़बरदस्त प्रैंक

जब श्रीदेवी बनीं अप्रैल फूल

बताते हैं कि अभिनेता अनुपम खैर ने एक बार प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीदेवी से कहा कि वे उन्हें एक जबरदस्त सरप्राइज देंगे। एक अप्रैल को एक मैग्ज़ीन सिने ब्लिट्ज के कवर पर एक लड़की की फोटो छपी। लड़की हूबहू श्रीदेवी से मिलती थी। शीर्षक भी चकमा देने वाला था 'मैं श्रीदेवी की अनजान बहन'। श्रीदेवी भी 'प्रभादेवी' नाम की इस लड़की की तस्वीर देख कर चकरा गईं। बाद में उन्हें चला कि ये लड़की कोई और नहीं, बल्कि खुद अनुपम खैर हैं और उन्हें तबीयत से ' अप्रैल फूल 'बना दिया गया है।

जब शहंशाह अमिताभ दोस्त की शादी में गवाह बनने पहुंच गए कोर्ट

अमिताभ बच्चन आज धीर-गंभीर नज़र आते हैं लेकिन जवानी में वे मस्ती-मज़ाक में अव्वल नंबर थे। उन्होंने खुद तो कइयों को मूर्ख बनाया ही लेकिन एक बार उनके एक दोस्त ने उन्हें जबरदस्त मूर्ख बनाया। अमिताभ बताते हैं कि एकबार वे अपने एक अज़ीज दोस्त की रिक्वेस्ट पर उसकी ' कोर्ट मैरिज' में गवाह बनने कोर्ट पहुंच गए। और वहां पहुंचने पर उन्हें पता चला कि वहां कोई शादी-वादी नहीं होने वाली और उन्हें अप्रैल फूल बना दिया गया है।

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