Akti Tihar in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ की अनूठी परम्परा... आज नौनिहाल बनेंगे माता-पिता, बांधेंगे पागा और करेंगे समधी भेंट, बेटी की होगी विदाई
Akti Tihar in Chhattisgarh : अरे जल्दी करव... मड़वा तैयार होगे का। बिहाव के तैयारी पूरा होगे। घरतियाँ-बरतियाँ मन बर खाना-पीना के इंतजाम होईस ? चलो जल्दी तेलमाटी-चुलमाटी जाना हे. शादी, समधी भेट और विदाई भी बाचे हे... का देबो दाइज में. ऐसे ही एक-दूजे से सवाल जवाब करते आनन-फानन में दौड़ते-भागते, नाचते-कूदते और खुद में मदमस्त नौनिहालों की टोली का नजारा आज हमारे अंचल छत्तीसगढ़ में गांव से लेकर शहर तक देखने को मिलने वाला है. छोटे-छोटे बच्चे माता-पिता जैसे चिंता और जिम्मेदारियों में बंधे दिखेंगे।

Akti Tihar in Chhattisgarh 2025 : छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया पर्व ‘अक्ती’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन लगभग प्रदेश के सारे घरों में मिट्टी के गुड्डे-गुड्डियों (पुतरा-पुतरी) की पूरे छत्तीसगढ़ी रिवाज और नियम-कानून के साथ शादी कराई जाती है. इसका मकसद बच्चों को छत्तीसगढ़ी परपम्परा और शादी के रिवाजों से जोड़ना है.
अक्ती तिहार, (Akti Tihar) जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ में मान्यता है कि अक्षय तृतीया (अक्ती) के दिन परिवार में मांगलिक कार्य होना चाहिए। जिन परिवारों में विवाह योग्य लडके-लड़कियां होते हैं, उनके लिए अच्छा रिश्ता ढूंढकर अक्षय तृतीया के दिन विवाह कराया जाता है। यदि किसी का रिश्ता तय न हो तो भी उस परिवार में गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाने की परंपरा निभाई जाती है। छोटे बच्चे बाजार से गुड्डा-गुड़िया खरीदकर लाते हैं और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ी रिवाज से खेल खेल वाली पर पूरे नियम से शादी करते हैं.
शहर के कुम्भकार के अनुसार हर साल वे लोग नए नए डिजाइन के गुड्डे गुड़ियां बनाते हैं. मेहनत करते हैं. पहले सिंपल बनाते थे इस समय डिजाइनर बना रहे हैं. बच्चे मंडप और कपड़े और मौर-मुकुट की भी डिमांड करते हैं.

विवाह के रीति-रिवाजों की सीख
अक्षय तृतीया (अक्ती) के दिन विवाह रचाने का उद्देश्य परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न कराना होता है। साथ ही परिवार के बच्चों को विवाह में निभाई जाने वाली रस्मों के बारे में सिखाया जाता है। विवाह से पूर्व देवी-देवताओं का आह्वान करके घर में स्थापित करना, देवी-देवता की मूर्ति बनाने के लिए तालाब से मिट्टी लाने की रस्म निभाई जाती है। इसे चूलमाटी की रस्म निभाना कहते हैं। इसके अलावा अनेक रस्म निभाई जाती है, जिनमें दुल्हा-दुल्हन को उबटन, तेल, हल्दी लगाने, मौर-मुकुट बांधने, अग्नि के फेरे लेने, दुल्हन की बिदाई और ससुराल में दुल्हन का स्वागत करने की रस्मों की जानकारी दी जाती है।
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार छत्तीसगढ़ में अक्ती तिहार 2025 में 30 अप्रैल को है. छत्तीसगढ़ में इस दिन शादी करना शुभ माना जाता है. सगाई करना और गृह प्रवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है. अगर घर में शादी नही होती है तो गुडा और गुडिया का नकली विवाह रचाते है उत्सव मनाते है. अक्ती तिहार को बहुत ही धूम–धाम से मनाते है.