Rakshahada Pahad Ka Rahasya: एक ऐसा पहाड़ जहां से आती है हड्डियों के जलने की गंध, जानिए कहां है रक्षाहाड़ा पहाड़ी और रहस्य
Rakshahada Pahad Ka Rahasya: छत्तीसगढ़ अपनी कई प्राकृतिक धरोहरों की वजह से विश्व विख्यात है। यहां स्थित पहाड़ियों का भी अपना एक रहस्यमयी इतिहास है। आज हम ऐसे पहाड़ी की बात करने जा रहे हैं जिसके पत्थरों को रगड़ने से हड्डियों के जलने जैसी गंध आती है।
Rakshahada Pahad Ka Rahasya: छत्तीसगढ़ अपनी कई प्राकृतिक धरोहरों की वजह से विश्व विख्यात है। यहां स्थित पहाड़ियों का भी अपना एक रहस्यमयी इतिहास है। आज हम ऐसे पहाड़ी की बात करने जा रहे हैं जिसके पत्थरों को रगड़ने से हड्डियों के जलने जैसी गंध आती है। यह कोई काल्पनिक बात नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है, जो विज्ञान और लोककथाओं के संगम से बनी है। इस लेख के माध्यम से हम इस पहाड़ी के रहस्य और इससे जुड़ी लोककथाओं के बारे में जानेंगे।
नाम के पीछे का इतिहास
रक्षाहाड़ा नाम अपने आप में एक अनोखा शब्द है। "रक्षा" यानी सुरक्षा और "हाड़ा" यानी हड्डी। यह नाम स्थानीय गोंड जनजाति की लोककथाओं से प्रेरित है। कहा जाता है कि इस स्थान की रक्षा प्रभु श्री राम ने एक दानव से की थी। अन्य कथाओं के अनुसार 14वीं शताब्दी में कांकेर रियासत के कंडरा राजवंश ने इस क्षेत्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना। राजा धर्मदेव के समय यह पहाड़ी सीमा रक्षा का हिस्सा थी और आसपास के गढ़िया पहाड़ी जैसे किलों से इसका संबंध था।
पत्थरों और लकड़ियों का रहस्य
रक्षाहाड़ा पहाड़ी की सबसे बड़ी खासियत है यहां की कुछ लकड़ियों और पत्थरों को जलाने व रगड़ने पर हड्डियों के जलने जैसी गंध आती है। ऐसा माना जाता है कि यहां उपस्थित पेड़ों के विशेष गुण की वजह से यह गंध आती है। जब इसकी लकड़ी जलती है, तो उसमें से निकलने वाली गंध फॉस्फोरस और अमोनिया जैसे यौगिकों के कारण हड्डियों जैसी प्रतीत होती है। यह गंध पेड़ों के रेजिन और वाष्पशील तेलों से उत्पन्न होती है, जो इस क्षेत्र की अम्लीय मिट्टी के कारण पनपते हैं।
पहाड़ी से जुड़ी अनोखी लोककथा
स्थानीय लोककथाएं इसे और भी रोचक बनाती हैं। यहां के स्थानीय निवासी इन पत्थरों को कोई चमत्कार नहीं मानते। लोक कथाओं के अनुसार इसे रामायण काल से भी जोड़ा जाता है। इस क्षेत्र में बहुत समय पहले एक दानव हुआ करता था और जब श्री राम अपने वनवास के दौरान इस इलाके में पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने श्री राम को दानव के बारे में अवगत कराया। तभी श्री राम ने राव घाट की पहाड़ियों पर चढ़कर दानव का वध किया और उस दानव के विशालकाय शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए। ग्रामीणों द्वारा बताया जाता है कि 60–70 साल पहले यहां के पत्थर बिल्कुल हड्डियों की तरह दिखाई देते थे, जिन्हें तोड़ने पर रक्त के समान लाल पदार्थ निकलता था। वैज्ञानिकों के बीच आज भी यह शोध का विषय बना हुआ है।
कहां स्थित है रक्षाहाडा की पहाड़ी
यह पहाड़ छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के खडगांव में जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव नहरपुर तहसील के अंतर्गत आता है। राजधानी रायपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के जरिए कांकेर आया जा सकता है, जो करीब 140 किलोमीटर दूर है। रक्षाहाड़ा पहाड़ी एक ऐसी जगह है, जो अपनी अनोखी प्राकृतिक विशेषताओं और लोककथाओं के कारण हर किसी को आकर्षित करती है। यह पहाड़ी एक ऐसी गंध छिपाए हुए है, जो हड्डियों के जलने जैसी प्रतीत होती है। यह कोई काल्पनिक बात नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है।