Rajasthan ka Devmali gaon ka itihas: इस गांव के किसी भी घर में नहीं लगता है ताला, यहां करोड़पति भी रहता है मिट्टी के मकान में। जानिए इस रहस्यमयी गांव का इतिहास!

Rajasthan ka Devmali gaon ka itihas: भारत में कई ऐसे गांव और ग्रामीण जीवशैलियां मौजूद है जो आज भी अपने पुराने विरासत को बरकार रखे हुए है। सितंबर 2024 में भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय ने इसे भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव घोषित किया है। आइए जानते है इस गांव की रहस्यमयी परंपराओं के बारे में...

Update: 2025-12-19 07:22 GMT

Rajasthan ka Devmali gaon ka itihas: भारत में कई ऐसे गांव और ग्रामीण जीवशैलियां मौजूद है जो आज भी अपने पुराने विरासत को बरकार रखे हुए है। यहां रहने वाले लोग आज भी आधुनिकता से हटके अपनी पारंपरिक जीवनशैली व्यतीत कर रहे हैं। यहां मिट्टी से बने घर जरूर है पर घरों में टीवी, कुलर, कंप्यूटर, दुकान सब कुछ है। आज हम आपको राजस्थान के ब्यावर जिले में स्थित देवमाली गांव के बारे में बताने वाले हैं जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पुरानी परंपराओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। सितंबर 2024 में भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय ने इसे भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव घोषित किया है। आइए जानते है इस गांव की रहस्यमयी परंपराओं के बारे में...

देवमाली गांव का इतिहास

इस गांव की कहानी लगभग 700 वर्ष पहले से आरंभ होती है। गांव को यहां के पूर्वजों ने बसाया था और इसका नामकरण भगवान देवनारायण के नाम पर रखा, जो गुर्जर समाज के आराध्य देवता हैं। कहा जाता है कि विक्रम संवत 1000 के आसपास यहां देवनारायण मंदिर का निर्माण किया गया था। जो आज भी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर 7 बड़ी चट्टानों को जोड़कर बनाया गया है। गांव के लोग प्रतिदिन सुबह नंगे पैर इस मंदिर की परिक्रमा करते हैं।

गांव के आसपास की चट्टानें एक अद्भुत आकृति प्रदर्शित करती हैं क्योंकि ये सभी एक ही दिशा में अर्थात मंदिर की ओर ही झुकी हुई हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार जब भगवान देवनारायण इस पर्वत पर विराजमान होने आए तो इन चट्टानों ने उन्हें झुककर नमन किया और तभी से वे इसी मुद्रा में स्थित हैं और जब भी आसपास के गांवों के श्रद्धालु अपने क्षेत्र में देवनारायण मंदिर का निर्माण करते हैं तो इस मंदिर से पांच ईंटें लेकर जाते हैं जिसे बहुत शुभ माना जाता है।

देवमाली गांव के कच्चे मकानों की अनूठी परंपरा

देवमाली गांव की सबसे चौंकाने वाली विशेषता यह है कि यहां एक भी पक्का मकान(सीमेंट वाला) नहीं है। यहां चाहे कोई करोड़पति हो या गरीब किसान सभी कच्चे घरों में ही निवास करते हैं। इन घरों की छतों पर लाल टेराकोटा टाइल (केलू) लगाई जाती है लेकिन सीमेंट तथा बजरी का उपयोग पूरी तरह से वर्जित है। यह मिट्टी के घरों की परंपरा भगवान देवनारायण को दिए गए इनके पूर्वजों के वचन के कारण बनी हुई है।

मान्यता के अनुसार जब भगवान देवनारायण इस गांव में आए तो उन्होंने कुछ समय रहने के लिए स्थान मांगा। तब गांव के पूर्वजों ने उनसे कहा कि आप पक्के घर में निवास करिए और हम कच्चे घर में ही रहेंगे। उसी दिन से यह परंपरा चली आ रही है और आज भी गांव का एकमात्र पक्का निर्माण भगवान देवनारायण का मंदिर ही है। कहा जाता है कि कई लोगों ने इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन उन्हें इसका भयंकर परिणाम भी चुकाना पड़ा था। केंद्र सरकार ने देवनारायण मंदिर के महत्व को बनाए रखने के लिए इनके नाम का एक डाक टिकट भी जारी किया था।

देवमाली गांव की पूरी जमीन है देवता के नाम

देवमाली गांव की एक और अद्भुत विशेषता यह है कि यहां की संपूर्ण जमीन किसी भी व्यक्ति के नाम पर नहीं है। पूरे गांव की 3.5 हजार बीघा से अधिक भूमि सरकारी रिकॉर्ड में भगवान देवनारायण के नाम पर दर्ज है। इसमें से लगभग 2 हजार बीघा चारागाह है और बाकी बची भूमि में कृषि कार्य किया जाता है। परिवारों के बीच खेती की जमीन का बंटवारा आपसी सहमति और परंपरा के अनुसार किया गया है लेकिन कागजात सभी भगवान देवनारायण के नाम पर ही हैं।

गांव के चार पवित्र वचन दो देवता को दिए गए

देवमाली में शादी की परंपरा भी अन्य गांवों से बिल्कुल भिन्न है। यहां बारात निकलने से पहले दूल्हे को भगवान देवनारायण के मंदिर में जाकर चार वचन देने होते हैं जिनका पालन उसे जीवनभर करना होता है।

  • कभी भी वह शराब, अंडा और मांस का सेवन नहीं करेगा।
  • वह कभी चोरी नहीं करेगा।
  • वह कभी पक्का मकान नहीं बनाएगा।
  • वह इन सभी नियमों का जीवनभर पालन करेगा।

यहां शादीशुदा पुरुष तांबे के 3.5 फेरे वाला छल्ला पहनते हैं जिसे भगवान देवनारायण की बेल माना जाता है और यह उनके प्रति दिए गए वचन का प्रतीक है। इस गांव में सभी लोग शराब और मांस को हाथ भी नहीं लगाते यहां तक कि खाना बनाने के लिए मिट्टी के तेल(केरोसीन) साथ ही नीम की लकड़ी को जलाना भी पूरी तरह से वर्जित माना गया है। आज भी लोग मिट्टी के चूल्हे पर भोजन पकाते हैं। ये सभी नियम भगवान देवनारायण को दिए गए वचन है, जिनका पालन यहां के लोग पूरी आस्था के साथ करते हैं इसके साथ ही बॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्म जॉली एलएलबी 3 की शूटिंग भी इसी गांव में हुई थी।

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