Mahant Ghasidas Memorial Museum: महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, रायपुर। इतिहास प्रेमियों के लिए ज्ञान और संस्कृति का प्रमुख केंद्र
Mahant Ghasidas Memorial Museum: छत्तीसगढ़ की राजधानी, आज आधुनिक विकास के साथ-साथ अपनी गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों के लिए भी जानी जाती है। इसी विरासत को जीवित रखने वाला एक प्रमुख स्थल है महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, जिसे स्थानीय लोग गुरुघासीदास संग्रहालय के नाम से भी जानते हैं। शहर के हृदय स्थल घड़ी चौक, राजभवन रोड पर स्थित यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के प्राचीनतम संग्रहालयों में से एक है। यह आज भी शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।
Mahant Ghasidas Memorial Museum: छत्तीसगढ़ की राजधानी, आज आधुनिक विकास के साथ-साथ अपनी गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों के लिए भी जानी जाती है। इसी विरासत को जीवित रखने वाला एक प्रमुख स्थल है महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, जिसे स्थानीय लोग गुरुघासीदास संग्रहालय के नाम से भी जानते हैं। शहर के हृदय स्थल घड़ी चौक, राजभवन रोड पर स्थित यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के प्राचीनतम संग्रहालयों में से एक है। यह आज भी शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।
संग्रहालय का इतिहास और स्थापन
इस संग्रहालय की नींव सन् 1875 में रखी गई थी। राजनांदगांव के शासक महंत राजा घासीदास ने इसे स्थापित कराया ताकि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन वस्तुएं सुरक्षित रह सकें। उनके इस प्रयास ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे मध्य भारत में सांस्कृतिक संरक्षण की एक नई सोच को जन्म दिया। आगे चलकर 1953 में रानी ज्योति देवी और राजा दिग्विजय दास ने इसके जीर्णोद्धार में अहम भूमिका निभाई। पुनर्निर्माण के बाद इसे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जनता को समर्पित किया। यह क्षण इस संग्रहालय की राष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है।
संग्रहालय की स्थापत्य शैली
संग्रहालय का भवन औपनिवेशिक शैली की झलक लिए हुए है और इसमें तीन मंजिलें हैं। हर मंजिल को इस तरह से विभाजित किया गया है कि अलग-अलग विषयों की प्रदर्शनियां व्यवस्थित रूप से देखी जा सकें। भवन के चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ बगीचा है जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। अंदर प्रवेश करने पर दर्शक इतिहास, कला और संस्कृति की यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जहाँ हर कक्ष अपने आप में एक कहानी कहता है।
विभिन्न प्रदर्शनियां: 17,279 पुरावशेषों का संग्रह।
- – पुरातत्व खंड में प्राचीन मूर्तियां, शिलालेख और पत्थरों पर की गई उत्कृष्ट नक्काशियां देखी जा सकती हैं। भगवान शिव, विष्णु और अर्धनारीश्वर की मूर्तियां इस खंड की विशेष आकर्षण हैं।
- – जनजातीय खंड में छत्तीसगढ़ की आदिवासी जीवनशैली से जुड़ी वस्तुएं जैसे पारंपरिक आभूषण, वेशभूषा, औजार और घरेलू सामान प्रदर्शित हैं।
- – प्राकृतिक इतिहास खंड में क्षेत्र की वनस्पति और जीव-जंतु से जुड़ी वस्तुएं तथा नमूने मौजूद हैं।
- – मुद्रा और शस्त्रागार खंड में प्राचीन सिक्के, हथियार और ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखा गया है।
दर्शकों के लिए जानकारी
संग्रहालय प्रतिदिन प्रायः सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। कुछ राष्ट्रीय अवकाशों पर यह बंद रहता है। प्रवेश शुल्क नाममात्र है। सामान्यतः वयस्कों से ₹10 और बच्चों से इससे भी कम शुल्क लिया जाता है। इस वजह से यह आम जनता के लिए भी सुलभ और शिक्षाप्रद स्थल है।
संग्रहालय का महत्व: क्यों जरूरी है हमारे लिए।
महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय केवल एक इमारत भर नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का जीवित प्रतीक है। यहाँ रखी वस्तुएं हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं और यह बताती हैं कि इस धरती ने कला, धर्म और समाज के कितने समृद्ध आयाम देखे हैं। चाहे विद्यार्थी हों, शोधकर्ता हों या आम पर्यटक; यह संग्रहालय हर किसी को सीखने, समझने और प्रेरित होने का अवसर देता है। रायपुर आने वाला हर व्यक्ति यदि इस धरोहर को देखे, तो निश्चित ही छत्तीसगढ़ की आत्मा से उसका साक्षात्कार होगा। यह लेख पसंद आया हो तो कृपया शेयर जरूर करें!