Chhattisgarh ke Paramparik Pakwan: छत्तीसगढ़ के मुख्य पारंपरिक व्यंजन, जानिए छत्तीसगढ़ से जुड़ी स्वाद की परंपरा

Chhattisgarh ke Paramparik Pakwan: छत्तीसगढ़ न सिर्फ अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ का खान-पान भी बेहद खास है। आइए विस्तार से जानते हैं छत्तीसगढ़ के प्रमुख पारंपरिक पकवानों के बारे में।

Update: 2025-09-23 13:26 GMT

Chhattisgarh ke Paramparik Pakwan: छत्तीसगढ़ न सिर्फ अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ का खान-पान भी बेहद खास है। यहाँ के पारंपरिक पकवान हर त्योहार, शादी-समारोह और घर के खास मौकों पर बनाए जाते हैं। इन व्यंजनों में ग्रामीण जीवन की सादगी और पीढ़ियों से चली आ रही रसोई परंपरा झलकती है। आइए विस्तार से जानते हैं छत्तीसगढ़ के प्रमुख पारंपरिक पकवानों के बारे में।

Thethari – ठेठरी

ठेठरी एक कुरकुरी और मसालेदार स्नैक है जिसे खासतौर पर त्योहारों में बनाया जाता है। बेसन में अजवाइन, नमक और हल्के मसाले मिलाकर आटा गूंथा जाता है, फिर इसे पतली गोल मुड़ी हुई रस्सी की आकृतियों में बनाकर तल दिया जाता है। यह लंबे समय तक सुरक्षित रहती है और चाय के साथ परोसी जाती है।

GulGul Bhajiya – गुलगुल भजिया

यह छत्तीसगढ़ का काफी लोकप्रिय व्यंजन है।गुलगुल भजिया मीठे स्वाद से भरपूर पकवान है। गेहूं के आटे में गुड़ मिलाकर छोटे-छोटे गोले बनाए जाते हैं और फिर इन्हें तेल में तला जाता है। कुरकुरे और मीठे गुलगुल भजिया खासकर बच्चों और बुजुर्गों को काफी पसंद आते हैं।

Kari – करी

छत्तीसगढ़ के घरों में सुख हो या दुख दोनों परिस्थितियों में करी बनाया जाता है। बेसन का उपयोग करके करी बनाया जाता है, जिसे हम सेव भी कह देते हैं। यदि हम सेव में गुड़ का शिरा मिलाकर गर्म कर दें और गोल आकार दे दें तो यह लड्डू बन जाता है। छत्तीसगढ़ी करी हल्की और पौष्टिक होती है।

Sohari – सोहारी

सोहारी को पूरी भी कहा जाता है। इसे मीठा और नमकीन दोनों प्रकार से बनाकर खाने में काफी स्वादिष्ट लगता है। नमकीन सोहारी को स्थानीय भाषा में नूनहा कहते हैं। इसे गेहूं आटे से बनाया जाता है। यह रोटी त्योहारों और खास मौकों पर बनाई जाती है।

Cheela – चीला

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी घरों में सुबह के नाश्ते में चीला रोटी बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए चावल के आटे को गर्म पानी में मिलकर एक घोल तैयार किया जाता है, फिर उसे गर्म तवे पर डालकर तेल में तल लेते हैं। इसे आपकी इच्छा अनुसार मीठा और नमकीन दोनों प्रकार से बनाया जा सकता है। यह नाश्ते का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है।

Airsa – अईरसा

अईरसा मीठे पकवानों में गिना जाता है। इसे बनाने के लिए चावल के आटे को सुखाकर और गुड़ मिलाकर इसको तेल में तला जाता है। इसका स्वाद कुरकुरा और मीठा होता है। छत्तीसगढ़ में इसे भी काफी स्वादिष्ट पकवान माना जाता है।

Papchi – पपची

पपची एक तरह का मीठा पकवान है जो गेहूं के आटे, चीनी और चावल के आटे को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका आकार परतदार होता है और इसे खासकर त्योहारों में बनाया जाता है। यह बालूशाही के समान होता है।

Bara – बड़ा

बरा उड़द दाल से बनने वाला पकवान है। इसका बैटर पीसकर छोटे-छोटे गोल आकार में तेल में तला जाता है और फिर इसे दही या चटनी के साथ परोसा जाता है। छत्तीसगढ़ में बड़ा का विशेष महत्व है इसे पितृ पक्ष में काफी घरों में बनाया जाता है।

Chousela – चौसेला

चौसेला भी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पकवान है। यह चावल के आटे से बनाया जाता है। इसकी आकृति भी पूरी के समान होती है। इसे भी नमकीन और मीठा दोनों तरह से बनाया जा सकता है।

Tasmai – तसमई

तसमई छत्तीसगढ़ का खास मिष्ठान है। दूध, चावल और गुड़ से तैयार होने वाली यह खीर अपने स्वाद और सुगंध से मन मोह लेती है। छत्तीसगढ़ के घरों में सुख और दुख दोनों समय में यह बनाया जाता है।

Khurmi – खुरमी

खुरमी एक मीठा पकवान है जो तीज-त्योहारों पर बनाया जाता है। इसे गेहूं आटे और गुड़ से तैयार किया जाता है और तेल में तला जाता है। इसे आप विभिन्न प्रकार की आकृति में जैसे आयताकार और गोल बना सकते हैं।

Fara – फरा

फरा चावल के आटे से बनने वाला पौष्टिक व्यंजन है। इसमें आटे की लोइयों में मसालेदार भरावन भरकर भाप में पकाया जाता है। पकाने के बाद इसे कड़ाही में डालकर राई व जीरा के साथ तड़का लगाया जाता है। यह व्यंजन हल्का और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

Dehrori – देहरौरी

देहरौरी छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध मिठाई है। इसे बनाने के लिए चावल को पीसकर बैटर बनाया जाता है और उसे 5 से 6 घंटे छोड़ने के बाद तला जाता है। तली हुई देहरौरी को गुड़ की चाशनी में डुबोया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ का देसी रसगुल्ला भी कहते है।

Muthiya – मुठिया

मुठिया चावल के आटे या गेहूं के आटे से बनता है। इसे हाथ से दबाकर आकार दिया जाता है और तला या भाप में पकाया जाता है।

Angakar – अंगाकर

छत्तीसगढ़ के गांव का दिन अंगाकर रोटी से ही शुरू होता है। यह काफी स्वादिष्ट पकवान होती है। इसे बनाने के लिए चावल आटे को पानी में गुथ कर एक बड़ा गोला बनाया जाता है और इसके ऊपर और नीचे दोनों तरफ पत्ते लपेट जाते हैं फिर इसे पकाने के लिए छोड़ दिया जाता है। अंगाकर मोटी और मुलायम रोटी है।

Hath Fodwa – हथ फोडवा

हथ फोडवा एक पारंपरिक ग्रामीण व्यंजन है। इसका नाम इसकी बनाने की शैली पर आधारित है। इसे बनाने के लिए चावल आटे का पेस्ट तैयार किया जाता है और मिट्टी के बर्तन में बिना तेल के इसे तला जाता है। सुनहरे होते तक इसे पकाने के बाद यह खाने योग्य हो जाता है।

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन न केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि इनमें इस क्षेत्र की संस्कृति, परंपरा और लोकजीवन की झलक भी मिलती है। ये पकवान त्योहारों और दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। 2025 में भी, जब आधुनिक फास्ट फूड हर जगह छाया हुआ है, तब भी छत्तीसगढ़ के लोग इन पारंपरिक व्यंजनों को संजोए हुए हैं। यही पकवान इस क्षेत्र की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर हैं।

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