Caveat Dakhil Karne ki Prakriya: कैविएट क्या है? इसे न्यायालय में क्यों दाखिल किया जाता है, जानिए पूरी डिटेल
Caveat Dakhil Karne ki Prakriya: न्यायपालिका में कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जो आम लोगों के समझ से बाहर हो जाती है। कई बार आपने एक कानूनी शब्द कैविएट सुना होगा, परंतु क्या आपको इसका मीनिंग पता है? आइए जानते हैं...
Caveat Dakhil Karne ki Prakriya: न्यायपालिका में कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जो आम लोगों के समझ से बाहर हो जाती है। कई बार आपने एक कानूनी शब्द कैविएट सुना होगा, परंतु क्या आपको इसका मीनिंग पता है? यह एक ऐसा हथियार है जो न्यायपालिका में व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उपयोग में लाया जाता है। जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई न्यायिक कार्यवाही चल रही होती है तब खासकर caveat का उपयोग किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि केविएट क्या होता है और इसे न्यायालय में कैसे दायर किया जाता है?
Caveat क्या है? (What is Caveat?)
कैविएट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई है। इस शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है सावधान रहना। कानूनी रूप में कैविएट एक प्रकार का सूचना या आदेश होता है, जिसे किसी भी व्यक्ति द्वारा दायर किया जा सकता है। इसे दायर करने का यह मतलब होता है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा न्यायालय में दर्ज है और उसने न्यायालय में कैविएट दायर की है, तो मुकदमे का अंतिम फैसला उस व्यक्ति को बताएं बिना नहीं लिया जा सकता। इस नियम को लेकर न्यायालय भी बाध्यकारी होता है।
इस प्रावधान को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत शामिल किया गया है और धारा 148A के अंतर्गत कैविएट दर्ज करने की पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। जो व्यक्ति यह याचिका दाखिल करता है उसे कैविएटर(caveator) के नाम से जाना जाता है।
किन कारणों से कैविएट दाखिल किया जा सकता है?(For what reasons can a caveat be filed?)
- न्यायालय में जब जिस प्रतिवादी(विपरीत पक्ष) के खिलाफ मुकदमा दर्ज है और वह किन्ही कारणों से न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाता है तो न्यायालय एक तरफा फैसला सुना देती है, इस स्थिति से बचने के लिए कैविएट दायर किया जा सकता है।
- हमारे संविधान में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई भी निर्णय लेने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। जब कोई व्यक्ति कैविएट दाखिल कर देता है, तो अदालत फैसला सुनाने से पहले उस व्यक्ति को सूचित करेगा।
- जब किसी व्यक्ति को यह लगता है कि उसके खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाया जा सकता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति पहले से ही सतर्क होकर कैविएट दाखिल कर सकता है।
- जब निचली अदालत में कोई फैसला आता है और हारने वाला पक्ष ऊपरी न्यायालय में अपील करने की तैयारी करता है, तो जीतने वाला पक्ष अक्सर कैविएट दाखिल कर सकता है। ऐसा करने से केविएटर को पहले सूचित किया जाएगा।
Caveat दाखिल करने की प्रक्रिया (Procedure for filing caveat)
कैविएट दाखिल करने के लिए एक फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज करनी पड़ती हैं। सबसे पहले उस न्यायालय का नाम और पता लिखना होता है जहां कैविएट दाखिल किया जा रहा है। फिर कैविएट दाखिल करने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी देनी होती है, जिसमें उसका नाम, पता और अन्य विवरण शामिल होते हैं।
इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा आता है जिसमें उस व्यक्ति की जानकारी देनी होती है जिसके खिलाफ कैविएट दाखिल किया जा रहा है। यह जानकारी जितनी सटीक होगी, कैविएट उतना ही प्रभावी होगा। जिस व्यक्ति के खिलाफ कैविएट दाखिल किया जा रहा है, उसे इसकी जानकारी दी जाती है।
यह सूचना रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजनी होती है। डाक की रसीद को कैविएट के साथ न्यायालय में जमा करना अनिवार्य होता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि कैविएट दाखिल होने की तारीख से केवल 90 दिनों तक वैध रहता है। समय सीमा पूरा होने के बाद केविएट स्वतः समाप्त हो जाता है और उसका कोई कानूनी महत्व नहीं रहता। हालांकि कैविएट को नवीनीकृत किया जा सकता है।