Bastar Olympics 2025: ओलंपिक में शामिल हुए नक्सल खिलाड़ी! जानिए बस्तर ओलंपिक 2025 के बारे में पूरी डिटेल
Bastar Olympics 2025: छत्तीसगढ़ में कई पारंपरिक खेलों की शुरुआत प्राचीन काल से ही हो गई थी। नारायणपुर जिले से बस्तर ओलंपिक 2025 का शुभारंभ हुआ। आइए जानते हैं इतिहास
Bastar Olympics 2025: छत्तीसगढ़ में कई पारंपरिक खेलों की शुरुआत प्राचीन काल से ही हो गई थी। यह सभी खेल सामान्य जनजीवन और आदिवासी जीवन में व्याप्त प्रथाओं को दर्शाता है। ये खेल मनोरंजन के साथ-साथ शारीरिक दक्षताओं को भी निखारने का कार्य करते हैं। 25 अक्टूबर को नारायणपुर जिले के कच्चापाल गांव से बस्तर ओलंपिक 2025 का शुभारंभ हुआ।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस खेल आयोजन का उद्घाटन किया और महिलाओं की रस्साकसी प्रतियोगिता से इसकी रोमांचक शुरुआत हुई। कार्यक्रम में ईरकभट्टी और कच्चापाल की महिलाओं के बीच हुई यह प्रतियोगिता देखने लायक थी। इन महिलाओं ने खेल में उत्साह और जोश का प्रदर्शन किया। खेल एवं युवा कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ द्वारा कार्यक्रम का आयोजन करवाया जाता है।
बस्तर ओलंपिक का यह दूसरा संस्करण
बस्तर ओलंपिक का यह दूसरा संस्करण है जो 30 नवंबर तक चलेगा। पहला संस्करण पिछले साल नवंबर से दिसंबर के बीच आयोजित हुआ था, जिसमें करीब सवा लाख से अधिक युवाओं ने भाग लिया था। इस बार की संख्या पिछली बार से दोगुनी से भी अधिक है। 3,91,297 प्रतिभागियों ने इस बार पंजीकरण कराया है जो इस आयोजन की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
कौन-कौन से खेल है शामिल
इस ओलंपिक में ग्यारह प्रकार की खेल विधाएं शामिल हैं। एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, बैडमिंटन, कराते, वॉलीबॉल, हॉकी, वेटलिफ्टिंग और महिलाओं के लिए विशेष रूप से रस्साकसी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इन खेलों का चयन इस प्रकार किया गया है कि स्थानीय परंपराओं और आधुनिक खेलों का संतुलित मिश्रण हो सके। प्रतियोगिता को दो आयु वर्गों में बांटा गया है। जूनियर वर्ग में 14 से 17 वर्ष तक के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जबकि सीनियर वर्ग में 17 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागी शामिल हैं। दिव्यांग खिलाड़ी और आत्मसमर्पित नक्सली भी इस खेल में शामिल हो सकते हैं।
खेल आयोजन का स्वरूप
बस्तर ओलंपिक को तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है। पहला चरण विकासखंड स्तर पर 28 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच होगा। इस स्तर पर गांवों और छोटे शहरों के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा दिखाएंगे। यहां से चुने गए खिलाड़ी जिला स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
दूसरा चरण जिला स्तर पर 6 नवंबर से 15 नवंबर तक चलेगा। बस्तर संभाग के सभी जिलों में ये प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। जिला स्तर पर विजेता खिलाड़ियों को संभाग स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिलेगा।
तीसरा और अंतिम चरण संभाग स्तर पर 24 नवंबर से 30 नवंबर के बीच होगा। यह चरण सबसे रोमांचक होगा, क्योंकि यहां पूरे बस्तर संभाग के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी आमने-सामने होंगे। इस चरण में विजेता खिलाड़ियों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे।
नारायणपुर जिले की विशेष भागीदारी
नारायणपुर जिले के युवाओं में इस खेल आयोजन के प्रति काफी उत्साह नजर आया है। केवल इस एक जिले से ही 47000 खिलाड़ियों ने पंजीकरण कराया है। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय युवाओं में खेलों के प्रति कितना उत्साह है। पहले यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित हुआ करता था, परंतु विकास की नई–नई योजनाओं की वजह से युवाओं में इस तरह का जोश देखने को मिल रहा है।
खेल आयोजन का शुभंकर और स्लोगन
बस्तर ओलंपिक के शुभंकर के रूप में वन भैंसा और पहाड़ी मैना को चुना गया है। यह चयन बेहद सोच-समझकर किया गया है। वन भैंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है और बस्तर की पहचान है। पहाड़ी मैना राजकीय पक्षी है। साथ इन दोनों पशुओं के चयन से लोगों में वन्य जीव संरक्षण की जागरूकता भी फैल रही है। शुभंकर में वन भैंसा को खेल परिधान में दिखाया गया है, जबकि उसके सींग पर पहाड़ी मैना बैठी है।
इस खेल आयोजन का मुख्य स्लोगन है "करसाय ता बस्तर, बरसाय ता बस्तर" जो लोगों से सीधे जुड़ता है। इस स्लोगन का अर्थ है "खेलेगा बस्तर, जीतेगा बस्तर"।