Who is the next CM of CG: गैर आदिवासी होगा CG का CM..! पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के साथ सियासी गलियारे में बढ़ी हलचल...

Who is the next CM of CG: छत्‍तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान का अगला मुख्‍यमंत्री कौन होगा। यह तय करने के लिए भाजपा ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। इसके साथ ही छत्‍तीसगढ़ में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि यहां अब किसी गैर आदिवासी को सीएम बनाया जाएगा।

Update: 2023-12-08 08:23 GMT

Who is the next CM of CG: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में मुख्‍यमंत्री तय करने के लिए भाजपा के राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व ने तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। इनमें अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और दुष्‍यंत कुमार गौतम शामिल हैं। पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा के साथ ही प्रदेश के सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि प्रदेश का अगला मुख्‍यमंत्री आदिवासी वर्ग से नहीं होगा। ऐसे में प्रदेश का अगला सीएम सामान्‍य या ओबीसी वर्ग से होने की चर्चा गरम हो गई है।

पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के साथ ही आदिवासी सीएम की दावेदारी क्‍यों खत्‍म मानी जा रही है। इस प्रश्‍न का उत्‍तर जानने से पहले यह जान लें कि जो तीन पर्यवेक्षक बनाए गए हैं वो कौन हैं। पर्यवेक्षकों में पहला नाम मुंडा का है। आदिवासी समाज से आते हैं और झारखंड के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं। अभी केंद्र में मंत्री हैं उनके पास जनजातीय मंत्रालय है। भरतपुर-सोनहत सीट से विधानसभा चुनाव जीती और मुख्‍यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रेणुका सिंह भी जनजातीय मंत्रालय में राज्‍यमंत्री रही हैं। सोनोवाल असम से आते हैं। वे असम के मुख्‍यमंत्री रहे चुके हैं। सोनोवाल अभी केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और आयुष मंत्री हैं। छत्‍तीसगढ़ के पर्यवेक्षकों में शामिल तीसरे नेता गौतम संघ की पृष्‍ठभूमि से आते हैं। अनुसूचित जाति के गौतम भाजपा के राष्‍ट्रीय महासचिव हैं।

अब मुख्‍यमंत्री चयन की प्रक्रिया को समझ लेते हैं। भाजपा में विधायक दल तय करता है कि कौन मुख्‍यमंत्री बनेगा। इस हिसाब से पर्यवेक्षकों का काम यह है कि वे यहां विधायकों के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान सीएम पद के लिए जो भी नाम आएगा उस पर विधायकों की राय लेगे, जिसके पक्ष में ज्‍यादा विधायक होंगे उसका नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। इसमें राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व की भूमिका कहीं नहीं है। पर्यवेक्षकों की भी भूमिका केवल राय लेने की है।इस प्रक्रिया में राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व पर नाम थोपने का आरोप नहीं लगता। इस प्रक्रिया में संदेश यह जाता है कि पर्यवेक्षकों ने निर्वाचित विधायकों की राय से मख्‍यमंत्री का नाम तय किया है 

मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा की आंतरिक और वास्‍तविक प्रक्रिया इससे अलग है। इसमें दिल्‍ली से आ रहे पर्यवेक्षक अपने साथ राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व की तरफ से फाइनल किया गया नाम लेकर आएंगे। यहां विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें पर्यवेक्षक बताएंगे कि राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व ने किसे मुख्‍यमंत्री बनाने का फैसला किया है। इसके बाद नाम सार्वजनिक कर दी जाएगी।

पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में आदिवासी सीएम की दावेदारी खत्‍म होने का उत्‍तर भी छिपा है। राजनीतिक विश्‍लेषकों की राय में पर्यवेक्षक दल का नेतृत्‍व आदिवासी को सौंपा गया है। ऐसे में अगर किसी गैर आदिवासी को मुख्‍यमंत्री बनाया जाता है तो जनता में यही संदेश जाएगा कि प्रदेश के सभी विधायकों ने मिलकर नाम तय किया है। आदिवासी पर्यवेक्षक ने ही गैर आदिवासी मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा की है। भाजपा की राजनीति को करीब से समझने वाले  जानकार भी मान रहे हैं कि भाजपा छत्‍तीसगढ़ में आदिवासी मुख्‍यमंत्री बनाने की तैयारी में नहीं है। पार्टी ने पहले ही एक आदिवासी को राष्‍ट्रपति का पद देकर आदिवासी वोट बैंक को प्रभावित करके रखा है।

जानिए... कौन-कौन हैं छत्‍तीसगढ़ में मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार

आदिवासी: विष्‍णुदेव साय, रेणुका सिंह, राम विचार नेताम।

ओबीसी: अरुण साव, ओपी चौधरी। 

सामान्‍य: डॉ. रमन सिंह।

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